राग-द्वेष और मोह छोड़े बिना आत्मा के सूर्य का प्रकाश नहीं मिल सकता: विभा श्री माताजी

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कोटा। कुन्हाडी स्थित दिगंबर जैन मंदिर निलय में मंगलवार को अपने प्रवचन में विभाश्री माता जी ने कहा कि देव गति में 32 इन्द्र होते हैं और वे अपनी-अपनी लोकों में निवास करते हैं। देव गति में भी जीवों को कर्मों के आधार पर जन्म मिलता है। यदि मनुष्य अपनी शुद्ध भावना, संयम और विवेक से जीवन जीता है, तो वह देव गति को प्राप्त कर सकता है।

विभा श्री माता जी ने प्रवचन में समझाया कि जब तक हम अपने अज्ञान, राग-द्वेष और मोह को नहीं छोड़ते, तब तक आत्मा के सूर्य का प्रकाश हमें नहीं मिल सकता जो आत्मा सम्यक दर्शन और सम्यक ज्ञान के साथ आत्म साधना करता है। वही जीवन को वास्तविक अर्थों में प्रकाशित करता है। इस अवसर निलय मंदिर के श्रावको ने माता विभाश्री से कई प्रश्न पूछे और अपनी धर्म जिज्ञासा का समाधान किया।

इसअवसर पर प्रवचन के दौरान सकल दिगंबर समाज के महामंत्री पदम बड़ला, रिद्धि–सिद्धि मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, मंत्री पंकज खटोड, कोषाध्यक्ष ताराचंद बड़ला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, अशोक सांवाला, निर्मल अजमेरा, अशोक पापडीवाल, सुरेन्द्र पापडीवाल, सुरेश जैन, पारस आदित्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार, महावीर बड़ला, राजकुमार पाटनी, नरेन्द्र कासलीवाल, अजीत गोधा, वर्धमान कासलीवाल, अनिल मित्तल, मनीष सेठी, संजय लुहाड़िया सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।