नई दिल्ली। मई 2025 से ही सरसों का बाजार भाव काफी ऊंचे स्तर पर चल रहा है जिससे किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है। सरकार ने भी रबी सीजन की इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण तिलहन फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 350 रुपए प्रति क्विंटल की भारी बढ़ोत्तरी कर दी है
जिससे यह 5950 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 6300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है इसके साथ-साथ उत्तरी भारत के सभी शीर्ष उत्पादक प्रांतों- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं गुजरात में अच्छी बारिश होने तथा तापमान घटने से सरसों की बिजाई के लिए मौसमी परिस्थितियां अनुकूल हुई हैं।
सरसों की खेती में इस बार किसानों का उत्साह एवं आकर्षण ज्यादा देखा जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मौजूदा रबी सीजन के दौरान 14 नवम्बर तक सरसों का घरेलू उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 64.23 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की इसी अवधि के बिजाई क्षेत्र 60.52 लाख हेक्टेयर से 6 प्रतिशत ज्यादा है।
हालांकि रबी सीजन की अन्य तिलहन फसलों की बिजाई या तो गत वर्ष के आसपास या उससे पीछे चल रही है मगर सरसों की बदौलत तिलहनों का कुल उत्पादन क्षेत्र 62.93 लाख हेक्टेयर से 5 प्रतिशत बढ़कर 66.17 लाख हेक्टेयर हो गया है। सरसों सहित अन्य तिलहनों की बिजाई अभी जारी है।
सरसों के उत्पादन क्षेत्र में इस बार बढ़ोत्तरी होने का अनुमान पहले से लगाया जा रहा था क्योंकि ऊंची वापसी हासिल होने से किसान काफी उत्साहित थे।
किसानों को अनुकूल मौसम का भी भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में जोर शोर से सरसों की बिजाई हो रही है जिसे देखते हुए लगता है कि नवम्बर के अंत तक अधिकांश क्षेत्रों में बिजाई की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
मौसम यदि आगे भी अनुकूल रहा तो सरसों का शानदार या रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है। इससे खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने में मदद मिलेगी। अगले साल फरवरी से इसकी नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू हो जाएगी।

