कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में बुधवार को प्रवचन के दौरान विभाश्री माताजी ने कहा कि संसार में मिलने वाला सुख क्षणिक है और मोह व आसक्ति ही दुःख का कारण बनते हैं।
उन्होंने बताया कि अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का पालन ही जीवन को सार्थक बनाता है। माताजी ने कहा कि यदि मनुष्य इन्द्रियों के सुख में उलझकर मोह के बंधन में बंधा रहेगा तो उसे वास्तविक शांति और आनंद कभी प्राप्त नहीं हो सकता।
उन्होंने श्रोताओं का आह्वान किया कि मोह त्याग कर धर्म और साधना के मार्ग पर चलें, क्योंकि यही मार्ग जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाता है। उन्होंने आगे कहा, “धर्म और संयम से ही आत्मा का कल्याण संभव है। जो मोह का त्याग करता है, वही परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है।

