कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गुरुवार को गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने प्रवचन के दौरान कहा कि मोह और विषय-वासनाओं से मुक्ति ही आत्मशुद्धि का सच्चा मार्ग है। उन्होंने कहा कि किसी से राग या द्वेष रखना ही वास्तविक हिंसा है।
जैन दर्शन के अनुसार हिंसा केवल शारीरिक नहीं होती, बल्कि मन, वचन और कर्म से भी होती है। माताजी ने कहा कि जीवन में अहिंसा, संयम और क्षमा की भावना से कार्य करना ही सच्चा धर्म है।
माताजी ने आगे कहा कि दीपावली का पर्व केवल दीप प्रज्वलन का नहीं, बल्कि आत्मदीप जलाने का अवसर है। चौमासे के समापन पर श्रद्धालु परिवार सहित मंदिर जाकर अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, भक्ति और भगवान महावीर स्वामी की पुण्य स्मृति में आराधना करें।
भगवान महावीर स्वामी ने इस दिन संपूर्ण परिग्रह का त्याग कर केवल ज्ञान की प्राप्ति की थी, इसलिए दीपावली आत्मशुद्धि और आत्मजागरण का प्रतीक पर्व है।

