नई दिल्ली। उद्योग- व्यापार क्षेत्र की तमाम दलीलों एवं मांगों को नजरअन्दाज करते हुए सरकार ने एक बार फिर पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को बढ़ा दिया है जिससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार कीमतों के मामले में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
नवीनतम सरकारी सर्कुलर के तहत पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि आठवीं बार बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक नियत की गई है जो हैरानी की बात है।
इस बार समय सीमा में लम्बा इजाफा किया गया है। इससे पूर्व अंतिम बार 20 मार्च को जारी सर्कुलर के जरिए आयात की अवधि 31 मई 2025 तक बढ़ाई गई थी जिससे प्रतीत हो रहा था कि शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन सहित अन्य सम्बद्ध संघों- संगठनों द्वारा सरकार से शुल्क मुक्त आयात की नीति बदलने का जोरदार आग्रह किया जा रहा था लेकिन सरकार ने इसे बिल्कुल अस्वीकार कर दिया।
भले ही सरकार के इस निर्णय से भारतीय दलहन उत्पादकों एवं कारोबारियों को निराशा हुई है मगर कनाडा और रूस जैसे प्रमुख आपूर्तिकर्ता देशों के किसानों तथा निर्यातकों के लिए यह बहुत बड़ी खुशखबरी है।
कनाडा के उत्पादकों एवं निर्यातकों के लिए तो भारत सरकार का यह निर्णय किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि चीन में मटर का निर्यात ठप्प पड़ने से कनाडाई उत्पादक अत्यन्त चिंतित और परेशान हो रहे थे।
पीली मटर का शुल्क मुक्त निर्बाध आयात जारी रहने से दलहनों और खासकर चना के घरेलू बाजार भाव पर दबाव बढ़ जाएगा और इसका असर अन्य दलहनों पर भी पड़ेगा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार दिसम्बर 2023 से अप्रैल 2025 के दौरान देश में करीब 33.44 लाख टन पीली मटर का आयात हुआ। कनाडा में मटर की बिजाई जारी है या लगभग समाप्त हो चुकी है जबकि रूस में कुछ सप्ताहों के बाद नए माल की आवक शुरू होने की संभावना है।
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन ने सुझाव दिया था कि पीली मटर पर इस स्तर का सीमा शुल्क लगाया जाना चाहिए कि इसका आयात मूल्य चना के एमएसपी के आसपास रह सके।ज्ञात हो कि इस बार सरकार को तुवर की खरीद में तो अच्छी सफलता मिली मगर देसी चना की खरीद का ज्यादा अवसर नहीं मिल रहा है।

