मेहंदीपुर बालाजी मंदिर अधिग्रहण पर राजस्थान हाईकोर्ट का स्टे

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दौसा। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर अधिग्रहण मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने देवस्थान विभाग के नोटिस पर स्टे दे दिया है। ऐसे में देवस्थान विभाग अब हाईकोर्ट का निर्णय आने तक बालाजी मंदिर पर अधिग्रहण की कार्रवाई नहीं कर सकेगा। बुधवार को जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा की बेंच में हुई सुनवाई में श्रीबालाजी महाराज घाटा मेहंदीपुर ट्रस्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने पैरवी की। बालाजी ट्रस्ट की ओर से दी गई दलीलों के बाद जस्टिस एसपी शर्मा ने 21 अक्टूबर तक देवस्थान विभाग के नोटिस पर रोक लगा दी है।

देवस्थान के लीगल मामलों से जुड़े एडवोकेट अरुण कुमार ने बताया, विभाग ने नियम विरुद्ध नोटिस देकर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को वंश परंपरागत महंत गद्दी का मंदिर नहीं माना था, जबकि ट्रस्ट डीड 1966 में मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की गद्दी को वंश परंपरागत उत्तराधिकारी गद्दी मानते हुए तत्कालीन सहायक आयुक्त देवस्थान द्वारा स्पष्ट उल्लेख किया गया है

इसमें बताया गया है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के महंत के ब्रह्मलीन होने या स्वेच्छा से गद्दी छोड़ने की स्थिति में उनके द्वारा चयनित उत्तराधिकारी ही महंत गद्दी का हकदार होगा। जो महंत के सानिध्य में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किया होना चाहिए। ऐसे में देवस्थान विभाग द्वारा दिया गया नोटिस पूरी तरह नियम विरुद्ध था, जिसमें बालाजी मंदिर के अधिग्रहण को लेकर आपत्तियां मांगी गई थी, जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा हाईकोर्ट में देवस्थान विभाग के संयुक्त सचिव, कमिश्नर व सहायक आयुक्त (ट्रस्ट) को पक्षकार बनाया गया था। मामले में अब 21 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।

स्टे के बाद लोगों में ख़ुशी का माहौल
देवस्थान विभाग द्वारा बालाजी मंदिर अधिग्रहण को लेकर 10 अगस्त को नोटिस दिया गया था, जिसमें पक्षकारों से आपत्तियां मांगी गई थी। इसके बाद बालाजी कस्बे समेत आसपास के गांवों में सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया तथा मंदिर अधिग्रहण प्रक्रिया के विरोध में आंदोलन किए जा रहे थे। ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा देवस्थान विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाने के बाद स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। लोगों ने बालाजी मंदिर के सामने जयकारे लगाते हुए मिठाई बांटकर खुशी व्यक्त की।