- नई दिल्ली। गर्मी वाली मूंग का उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ वर्तमान में हल्के नुक़सान के साथ महाराष्ट्र एवं राजस्थान की मूंग की फ़सल बढ़िया रहने की खबर मिल रही है, इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए मूंग में आगे तेजी का व्यापार नुकसानदायक रहने की आशंका है।
विशेषज्ञों के अनुसार मूंग की गर्मी वाली फसल बीते 4 माह पहले आ चुकी है। यह फसल मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड में इस बार बंपर रहने के अनुमान है, जिसके बाद चौतरफा मंडियों में आवक का दबाव बढ़ता गया। उत्पादन अधिक होने से उत्पादक तथा वितरक मंडियों में हल्के-भारी माल का स्टॉक बहुत ज्यादा जमा होने की खबरें मिल रही है।
इसके अलावा, दिल्ली बाजार में अभी भी गर्मी वाली मूंग की क़रीब 4 लाख बोरी का स्टॉक जमा होने की ख़बर है। वर्तमान में अहमदनगर, परभनी एवं अकोला लाइन की मूंग दिल्ली बाजार में धोया क्वालिटी की 5400/5700 रूपए के बीच बिक रही है जबकि बढ़िया माल 6000/6100 रूपए बिक रही है तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बढ़िया माल 100 रूपए बढ़ाकर आज 6600/6800 रूपए प्रति क्विंटल तक सुने जा रहे है। लेकिन, दाल छिलका व धोया की बिक्री अनुकूल नही होने से यह मजबूती टिकाऊ नही लग रही है।
अगले माह राजस्थान के जयपुर, मेड़ता, नागौर, दौसा, शेखावटी, किशनगढ़ एवं केकड़ी लाइन की मूंग प्रारंभ होने की खबरें है,और इन सभी उत्पादक क्षेत्रों में फसल बहुत बढ़िया बतायी जा रही है, इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए मूंग में आगे तेजी का व्यापार नुकसानदायक रहने की आशंका है।
वर्तमान में अभी जो माल स्टॉक में पड़ा है, वही बिकना मुश्किल हो गया है, दूसरी ओर राजस्थान की फसल बढ़िया उतरने पर 600/700 रूपए प्रति क्विंटल और मंदी आने की आशंका है। बाज़ार के जानकार विशेषज्ञों के अनुसार मौसम के मौजूदा मिज़ाज को देखते हुए राजस्थान एवं महाराष्ट्र की मूंग की नई फ़सल की ग्रोथ बेहतर रहने से चमकदार क्वालिटी के साथ साथ उत्पादकता बढ़ने का अनुमान है।
जानकारों के अनुसार वर्तमान में मूंग आयात पड़ता किसी भी देश से नही है, लेकिन इस बार रबी से लेकर खरीफ सीजन वाली मूंग के लिए मौसम इतना अनुकूल रहा है, कि कुल उत्पादन मिलाकर 30 लाख टन तक बैठने का अनुमान आने लगा है जो बीते वर्ष के उत्पादन 21 लाख टन से कही ज़्यादा है।
अतः मूंग का व्यापार इस बार संभलकर करना चाहिए। मंडियों में बीते कुछ माह के दौरान कोरोना वायरस काल में व्यापार बहुत कम रह गया था जबकि कारोबारियों की पूंजी घटकर काफ़ी कम रह गयी है। बाजारों में रूपए की तंगी के चलते कारोबारियों की स्टॉक क्षमता लगभग समाप्त हो गई है।
इन सभी परिस्थितियों में मूँग की कीमतों में मंदे के संकेत मिल रहे है दूसरी ओर, मूंग की क्वालिटी में हल्के-भारी माल का अंतर इतना अधिक हो गया है, कि दाल मिलों को हर पड़तें में प्रोसेसिंग के लिए माल मिलता रहेगा, जिससे बढ़िया सिलेक्टेड माल में भी तेजी नही टिक पायेगी।

