कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चातुर्मास के दौरान मंगलवार को तत्वार्थ सूत्र के आठवें अध्याय की परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग ढाई सौ श्रद्धालुओं ने भाग लिया। परीक्षा में 50 प्रश्नों के उत्तर देने थे। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
विनोद टोरड़ी व मनोज जैसवाल ने बताया कि 28 अगस्त से दस लक्षण पर्व प्रारंभ होगा। इस अवसर पर श्रावक संस्कार शिविर आयोजित किया जाएगा। अब तक लगभग ढाई सौ श्रद्धालुओं ने पंजीयन कराया है, जिनमें से लगभग 50 प्रतिभागी कोटा के बाहर की है। शिविर प्रतिदिन सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक संचालित होगा।
अपने प्रवचन में गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा कि धर्मोपदेश सुनना और समझना अत्यंत दुर्लभ अवसर है। भगवान की भक्ति और धर्म का उद्देश्य जीवन को सच्चे मार्ग पर चलाना है।
उन्होंने कहा कि मानव जन्म दुर्लभ है और इसे साधना, संयम एवं सेवा में लगाने से ही जीवन सफल हो सकता है। माताजी ने स्पष्ट किया कि केवल शरीर और भोग में उलझकर जीवन का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जीव बार-बार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। कभी सूअर, कभी कुत्ता, कभी घोड़ा और कभी गधा। यह क्रम अनंत तक चलता रहता है। इससे मुक्ति पाने के लिए भगवान की शरण ही एकमात्र उपाय है। भगवान की भक्ति ही ऐसा सहारा है, जो जीव को भवसागर से पार कराती है।

