कोटा। वर्धमान सागर महाराज के शिष्य मुनि वैराग्य सागर एवं मुनि सुप्रभ सागर महाराज का तलवंडी में मंगल प्रवेश हुआ। मुनि संघ की उपस्थिति में आयोजित धर्म सभा में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
प्रातःकालीन धर्म देशना में पूज्य मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने समसामयिक विषयों पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मानव की बुद्धि निश्चित रूप से विकसित हुई है, परंतु इसके साथ ही कुतर्क की प्रवृत्ति भी बढ़ी है।
हम चिरस्थायी सुख के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं करते, बल्कि क्षणिक आनंद की तलाश में भटकते रहते हैं। मुनिश्री ने कहा कि जब व्यक्ति को थोड़े प्रयास से सफलता नहीं मिलती, तो वह अपना मार्ग परिवर्तित कर देता है और जीवन की दिशा खो देता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए महाव्रत का मार्ग ही प्रमुख पथ है।
गृहस्थ जीवन में भी मोक्ष की संभावना
धर्म प्रवचन में मुनिश्री ने बताया कि सन्मार्गी गृहस्थ भी अपना कल्याण कर सकता है, किंतु अधिकांश लोग शॉर्टकट के चक्कर में सही राह छोड़ देते हैं। इससे उनका संपूर्ण जीवन भटकाव में चला जाता है।
मुनि वैराग्य सागर महाराज ने अपने प्रवचन में मानसिक शांति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “मोह में फंसे व्यक्ति का चित्त कभी भी शांत नहीं रह सकता। लोभ की वृत्ति हमारी बुद्धि को भ्रष्ट कर देती है।
मुनि महाराज ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि जीवन में जितनी सुविधाएं बढ़ रही हैं, उतनी ही समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन को संयमित और व्यवस्थित बनाने की आवश्यकता है।

