मुकेश की यादें और आधुनिक तरानों का संगम बना सुरमयी आयोजन

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कोटा। बूंदी रोड स्थित रिसॉर्ट में सृजन द स्पार्क कोटा चैप्टर के तत्वावधान में गुरुवार को आयोजित सुरमयी संध्या ने श्रोताओं को सुरों की ऐसी यात्रा पर पहुंचा दिया, जहाँ हर गीत के साथ भावनाओं का नया रंग झलकता रहा।

सचिव संजीव सक्सेना ने बताया कि कार्यक्रम में गोल्डन वॉइस ऑफ मुकेश कहे जाने वाले प्रसिद्ध गायक मुख्तार शाह ने अपनी आवाज़ से मुकेश के अमर गीतों को जीवंत कर दिया। वहीं जानी-मानी पार्श्वगायिका गुल सक्सेना ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कोटा के पार्श्व गायक अतुल राव नें भी अपनी प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आर.पी. गोयल, आईपीएस, आईजी कोटा डिवीजन रहे। अध्यक्षता पूर्व आईपीएस प्रसन्न कुमार खमेसरा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में एडीएम कृष्णा शुक्ला उपस्थित रहीं । मुख्य अतिथि आईएएस आर.पी. गोयल ने कहा कि संगीत देश और दिलों की दूरियाँ मिटाता है।

यह संध्या उसी सोच का विस्तार है।सृजन के अंतरराष्ट्रीय विस्तार का उल्लेख करते हुए संरक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा ने कहा कि संस्था ने ब्रिटेन, दुबई, कनाडा और अमेरिका में भी चैप्टर स्थापित किए हैं और यह एक वैश्विक संगीत संस्थान के रूप में विकसित हो रही है।

उन्होंने बताया कि डॉ. सुब्रमण्यम को सृजन द स्पार्क पार्क लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित करेगा। स्वागत भाषण में संस्था के अध्यक्ष डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि कोटा चैप्टर के गठन के बाद यह 12वां बड़ा आयोजन है, जिसका उद्देश्य नए कलाकारों को मंच देना और संगीत को सामाजिक जुड़ाव का माध्यम बनाना है।

कार्यक्रम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजकुमार जैन, सीए अजय जैन और मनीष पाटनी थे। सचिव संजीव अग्रवाल, उपाध्यक्ष अनीमेष जैन, कोषाध्यक्ष विकास जैन अजमेरा, डॉ. कपिल सिद्धार्थ, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन, कुलदीप माथुर, वी के जेटली, अमित बंसल, अनिश बिड़ला, संदीप जैन, ज्ञानचंद जैन सहित बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित रहे।

यूं चला रातभर संगीत का सफर
कार्यक्रम की शुरुआत पार्श्वगायिका गुल सक्सेना ने “दिल तो है दिल ”, दिल का एतबार क्या कीजिये ” और “आज फिर जीने की तमन्ना है” जैसे सदाबहार गीतों से की। उनकी सुरीली प्रस्तुतियों ने माहौल को भावुक और रोमांटिक बना दिया। “ये मेरा दिल यार का दीवाना” और “प्यार करने वाले प्यार करते हैं” जैसे गीतों पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंजी।

इसके बाद मंच पर आए “गोल्डन वॉइस ऑफ मुकेश” मुख्तार शाह ने जहाँ होठो पर सच्चाई रहती है गीत से लोगो क़ो देश प्रेम से जोड़ा। “कहीं दूर जब दिन ढल जाए”, “कभी कभी मेरे दिल में” और “जाने कहां गए वो दिन” जैसे गीतों ने श्रोताओं को बीते दौर की यादों में डुबो दिया। कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है..पर सबक़ो झूमने पर मजबूर कर दिया। दूसरे दौर में “सुहानी चांदनी रातें” और “जीना यहां, मरना यहां” पर श्रोताओं ने भरपूर सराहना की।

दोनों कलाकारों ने मिलकर “एक प्यार का नगमा है” और “सावन का महीना” जैसे युगल गीत गाकर संध्या को ऊँचाई दी। अंत में गुल सक्सेना ने “सामी सामी”, “लैला मैं लैला” और “हंगामा हो गया” जैसे ऊर्जावान गीतों से पूरा सभागार थिरकने पर मजबूर कर दिया।

मुख्तर शाह ने अपने संदेश में संगीत को हीलिंग पावर बताते हुए कहा कि संगीत सुकून का दूसरा नाम है। उन्होंने कहा कि अच्छा संगीत सुने और प्रसन्न रहने की कोशिश करें। वही गुल सक्सेना ने युवाओं को पेशेंस और हार्ड वर्क का संदेश दिया।