कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में शनिवार को प्रवचन के दौरान गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा कि मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मकल्याण की साधना है। जब तक मनुष्य मोह, क्रोध, लोभ और अहंकार में बंधा रहता है, तब तक वह जीवन की सच्ची शांति का अनुभव नहीं कर सकता।”
माताजी ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्ममंथन और आत्मचिंतन का विशेष अवसर है। इस पर्व के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में शुद्धता, करुणा और सेवा का आकलन करना चाहिए।
उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे से क्षमा याचना करें। परिवार और समाज में प्रेम, सहयोग एवं संयम की भावना को बढ़ावा दें।अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह को जीवन का आधार बनाएं।

