कोटा। देश की अधिकांश प्रमुख थोक मंडियों में गेहूं का भाव एक निश्चित दायरे में स्थिर बना हुआ है और बाजार विश्लेषकों का कहना है कि निकट भविष्य में इसमें भारी उतार-चढ़ाव आना मुश्किल है।
दरअसल गेहूं की मांग एवं आपूर्ति के बीच काफी हद तक संतुलन बना हुआ है और सरकार ने बाजार भाव पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने के लिए खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) को शुरू करने का संकेत भी दे दिया है। इसके तहत सरकारी गेहूं की बिक्री के लिए रिजर्व मूल्य की घोषणा हो चुकी है।
मध्य प्रदेश की बेंचमार्क इंदौर मंडी में पिछले दिन गेहूं का दाम 2730 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर रहा और राजस्थान की कोटा मंडी में भी पिछले दिन के मूल्य स्तर 2475-2500 रुपए प्रति क्विंटल में कोई खास तेजी-मंदी नहीं देखी गई। वहां गेहूं की आपूर्ति सुधरकर 7000 बोरी पर पहुंच गई। इधर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं का मूल्य 2750 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
कमोडिटी एक्सपर्ट अविनाश राठी का कहना है कि निकट भविष्य में गेहूं का भाव सीमित दायरे में थोड़ा-बहुत ऊपर नीचे हो सकता है। वर्तमान मूल्य स्तर एवं माहौल को देखते हुए सरकार भी संतुष्ट है इसलिए ओएमएसएस के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी प्रक्रिया को जुलाई-अगस्त में आरंभ नहीं करना चाहेगी।
केन्द्रीय पूल से बिक्री आरंभ होने से पूर्व सरकार व्यापारिक फर्मों के लिए स्टॉक सीमा के नियमों को कुछ और कठोर या जटिल बना सकती है। राठी के मुताबिक सरकार को पता है कि बाजार में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और जब तक इसकी बिक्री नहीं हो जाती तब तक ओएमएसएस को आरंभ करना ठीक नहीं रहेगा। खुले बाजार बिक्री योजना को आरंभ तो किया जाएगा मगर उससे पहले भंडारण सीमा को सख्त बनाने पर विचार किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि खुले बाजार बिक्री योजना के तहत केन्द्रीय पूल से बेचे जाने वाले गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) 2550 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है जो पिछले साल के रिजर्व मूल्य 2300-2325 रुपए प्रति क्विंटल और 2024-25 सीजन के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति किवंटल से काफी ऊंचा है। सरकार के पास करीब 60-65 लाख टन गेहूं का अतिरिक्त स्टॉक मौजूद है जिसे ओएमएसएस के तहत बिक्री के लिए उतारा जा सकता है। लेकिन बिक्री में देर हो सकती है।

