मनुष्य पापों का बोझ त्यागकर पुण्य का दीप प्रज्वलित करें: विभाश्री माताजी

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में मंगलवार को गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा कि जीवन में सुख-दुःख का आना-जाना स्वाभाविक है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए। कठिनाइयाँ तप की भट्ठी के समान होती हैं, जो आत्मबल को और प्रखर बनाती हैं।

उन्होंने कहा कि यदि जीवन का दीपक मंद पड़ने लगे, तो उसे साधना और संयम के तेल से पुनः प्रज्वलित करना चाहिए। संयम और साधना का दीप ही सच्चे सुख और शांति का मार्ग है।
माताजी ने आगे कहा कि आत्मा चेतन स्वरूप है और शरीर उसका साधन है। इसलिए इस शरीर का उपयोग भगवान की भक्ति, साधना और सेवा में करना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि पापों का बोझ त्यागकर पुण्य का दीप प्रज्वलित करें तथा जीवन के प्रत्येक क्षण को साधना और सेवा में समर्पित करें।

कल्पद्रुम महा मंडल विधान 23 सितंबर से
महामंत्री अनिल ठोरा ने बताया कि कल्पद्रुम महा मंडल विधान 23 सितंबर से 2 अक्टूबर तक प्रतिदिन सुबह 6 से अभिषेक एवं शांतिधारा तथा प्रातः 7 बजे से 12 बजे तक कल्पद्रुम महा मंडल विधान के किया जाएगा।