मनुष्य जीवन सार्थक तभी है, जब संयमित हो आचरण: आर्यिका विभाश्री

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने गुरुवार को प्रवचन के दौरान कहा कि जीवन में दुख और कठिनाइयों का कारण बाहरी परिस्थितियाँ नहीं, बल्कि आंतरिक अशांति और अवगुण हैं।

उन्होंने बताया कि शांति की प्राप्ति तभी संभव है जब विचार, आचरण और शरीर संयमित हों। लोभ, मोह और क्रोध जैसे विकार नरक के कारण हैं, जबकि संतोष और संयम आत्मा को परम शांति की ओर ले जाते हैं। मृत्यु का आगमन निश्चित है, इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षण को सार्थक और संयमित बनाने की आवश्यकता है।