कोटा। आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने मण्डाना गुरुधाम में आयोजित आनंद समाधान योजना के अंतर्गत श्रावकों के प्रश्नों का समाधान करते हुए कहा कि मोक्ष ही जीवन का वास्तविक सोना है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रवण संस्कृति शाश्वत है और श्रावक को मोक्ष प्राप्ति हेतु पुरुषार्थ करना चाहिए। आचार्य जी ने कहा कि धर्म श्रम मनुष्य को धार्मिक बना सकता है, किंतु परमात्मा नहीं; इसलिए वैराग्य और श्रवण ही मोक्षमार्ग की कुंजी हैं।
संध्याकालीन जिनदशेना में आचार्य प्रज्ञासागर ने जीवन में वैराग्य और मोक्षमार्ग के महत्व को रेखांकित करते हुए उदाहरण दिया कि जैसे भुना हुआ चना छिटककर पिसने से बच जाता है, वैसे ही वैराग्य अपनाने वाला मनुष्य भोग-विलास से हटकर ईश्वर भक्ति में प्रवृत्त हो जाता है।
इस अवसर पर गुरु आस्था परिवार अध्यक्ष लोकेश जैन, चेयरमैन यतिश जैन खेड़ावाला, महामंत्री नवीन जैन दौराया, कोषाध्यक्ष अजय जैन खटकीड़ा सहित प्रवीण जैन, विनय शाह, कपिल आगम, अर्पित सराफ, रोहित जैन, नितेश जैन, शेलेन्द्र जैन, त्रिलोक जैन, मिलाप अजमेरा, विकास मजीतिया, अनिल दौराया, योगेश सिंघम, सौरभ जैन, अजय मेहरू, अजय खटकिडा, लोकेश दमदमा, राजीव पाटनी सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

