नई दिल्ली। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2025 में सोने की मांग पिछले पांच सालों में सबसे कम स्तर पर पहुंच सकती है। सोने की बढ़ती कीमतों ने ज्वैलरी खरीदारी पर ब्रेक लगा दिया है, जबकि निवेश के लिए सोना खरीदने वालों में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है।
अनुमान है कि इस साल भारत की सोने की खपत 600 से 700 मीट्रिक टन के बीच रहेगी, जो पिछले साल के 802.8 टन से काफी कम है। अगर कीमतें स्थिर रहीं तो यह आंकड़ा 700 टन तक पहुंच सकता है, लेकिन जियो-पॉलिटिकल कारणों से अगर कीमतों में 10-15% की बढ़ोतरी हुई तो मांग घटकर 600 टन तक आ सकती है ।
जून 2025 में सोने की स्थानीय कीमतें ₹1,01,078 प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। इस साल अब तक सोने में 28% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले साल भी इसकी कीमतों में 21% का उछाल आया था। इस महंगाई का सीधा असर आम खरीदारों पर पड़ा है, खासकर ज्वैलरी सेगमेंट में।
अप्रैल-जून तिमाही में सोने की कुल खपत 134.9 टन रही, जो पिछले साल की तुलना में 10% कम है। इसमें ज्वैलरी की मांग में 17% की गिरावट आई, जबकि निवेश के मकसद से सोना खरीदने वालों की संख्या 7% बढ़ी ।
सोने की भारी कीमतों के बावजूद निवेशक इसकी चमक से दूर नहीं हुए हैं। जून में गोल्ड ETF (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स) में जबरदस्त उछाल देखा गया। भारतीय म्यूचुअल फंड एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, इसमें 20.81 अरब रुपये का निवेश हुआ, जो पिछले महीने के मुकाबले दस गुना अधिक है।
WGC के भारत प्रमुख सचिन जैन के अनुसार, “डिजिटलीकरण बढ़ने के साथ भारत में गोल्ड ETF तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।” यह बदलाव इसलिए भी अहम है क्योंकि अब लोग भौतिक सोने (जैसे गहने) की बजाय डिजिटल तरीके से सोने में निवेश करना पसंद कर रहे हैं।
आने वाले महीनों में क्या होगा
सितंबर तिमाही में भी सोने की मांग पिछले साल के 248.3 टन से कम रहने का अनुमान है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2024 में सरकार ने आयात शुल्क घटाकर खरीदारी को प्रोत्साहित किया था, जिसका असर अब खत्म हो गया है। हालांकि, त्योहारों का सीजन (अगस्त के बाद से) ज्वैलरी की मांग को फिर से बढ़ा सकता है। WGC का कहना है कि सोने का प्रदर्शन अन्य एसेट क्लासेज से बेहतर रहा है, इसलिए निवेशक अब भी शारीरिक सोने और ETF दोनों में पैसा लगा रहे हैं। कंपनी की रणनीति में अब प्रतिस्पर्धी वॉल्यूम-आधारित विकास पर ध्यान देना शामिल है

