भारत ने डोनाल्‍ड ट्रंप के सपनों पर फेरा पानी; कि वह देखते रह गए, जानिए कैसे

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नई दिल्‍ली। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की भारत पर दबाव बनाने की रणनीति काम नहीं आई है। उनका प्‍लान भारी-भरकम टैरिफ के जरिये भारत के व्‍यापार पर हथौड़ा चलाने का था। उसे चोट तो जरूरी पहुंची। लेकिन, भारत ने इस प्‍लान पर पानी फेर दिया। सिर्फ यही नहीं उसने व्‍यापार का भूगोल ही बदल डाला।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट से इसका पता चलता है। क्रिसिल की अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का अमेरिका को निर्यात घट गया है। वहीं, अन्य देशों को होने वाला निर्यात मजबूत बना हुआ है। यह पिछले बढ़ोतरी के आंकड़ों को पार कर गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर में अमेरिका को होने वाले माल निर्यात में 11.9% की गिरावट आई। यह घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया। अगस्त 2025 में 7% की बढ़ोतरी के बाद यह गिरावट आई। एजेंसी ने यह भी कहा कि अगर टैरिफ बढ़ने से पहले माल की अग्रिम शिपमेंट नहीं होती तो यह गिरावट और भी ज्यादा होती।

ऐसे बदला व्‍यापार का भूगोल
अमेरिका को निर्यात में यह कमी अमेरिकी प्रशासन की ओर से 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले के बाद आई है। क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी के कारण भारत के माल निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके उलट अमेरिका के अलावा दूसरे देशों को भारत से होने वाला निर्यात काफी अच्छा रहा। सितंबर में इन देशों को निर्यात 10.9% बढ़ा। यह अगस्त 2025 में दर्ज की गई 6.6% की वृद्धि से काफी ज्यादा है। यह द‍िखाता है क‍ि भारत ने अमेर‍िका को न‍िर्यात में हुए नुकसान की भरपाई दूसरे देशों से करने की कोश‍िश की है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्‍ल्‍यूटीओ) का अनुमान है कि 2025 में वैश्विक माल व्यापार का वॉल्‍यूम 2.4% बढ़ेगा। जबकि 2024 में यह 2.8% था। इन मुश्किलों के बावजूद क्रिसिल को उम्मीद है कि भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) कंट्रोल में रहेगा। इसकी वजह सेवाओं का मजबूत निर्यात, लगातार आने वाला विदेशी पैसा (रेमिटेंस) और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी है। एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में करंट अकाउंट डेफिसिट यानी सीएडी जीडीपी का लगभग 1% रहेगा। यह पिछले साल के 0.6% से थोड़ा ज्यादा है।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर कर रहे बात
भारत और अमेरिका एक व्‍यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इस पर जल्‍द ही मुहर लगने के आसार हैं। भारी-भरकप टैरिफ के कारण बीच में दोनों देशों के बीच व्‍यापार वार्ता थम गई थी। संबंधों में तनाव भी पैदा हो गया था। रूसी तेल खरीद के कारण अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ाकर 50% कर दिया था। भारत ने इसे सरासर अनुचित और मनमाना बताया था। लेकिन, हाल में दोनों देश व्‍यापार वार्ता को लेकर आगे बढ़े हैं। दोनों ने इसमें दिलचस्‍पी दिखाई है। हालांकि, भारत के जवाबी रुख से ये तय हो गया है कि वह कोई भी ऐसा करार नहीं करेगा जिसमें उसके हितों से समझौता हो। यह समझौता पूरी तरह से दोनों देशों को फायदा पहुंचाने वाला होगा।