नई दिल्ली/टोक्यो। प्रशांत महासागर में मौजूद भारत के एक और दोस्त ने चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ कमर कस ली है। यह दोस्त है जापान, जो चीन की दादागीरी से बेहद परेशान है। दरअसल, जापान की कैबिनेट ने शुक्रवार को आगामी वर्ष के लिए 9 ट्रिलियन येन (58 अरब डॉलर) से अधिक के रिकॉर्ड रक्षा बजट को मंजूरी दे दी।
इस बजट का उद्देश्य क्षेत्र में बढ़ते तनाव के मद्देनजर क्रूज मिसाइलों और मानवरहित हथियारों के जखीरे से अपनी जवाबी हमले की क्षमता और तटीय रक्षा को मजबूत करना है। अप्रैल में शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2026 के लिए तैयार किया गया बजट 2025 की तुलना में 9.4% अधिक है और यह जापान के चल रहे पांच वर्षीय कार्यक्रम का चौथा वर्ष है, जिसका लक्ष्य वार्षिक हथियार खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2% तक दोगुना करना है।
यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब जापान को चीन से बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ रहा है। जापानी प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची ने नवंबर में कहा था कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है, तो उनके देश की सेना हस्तक्षेप कर सकती है। ताइवान एक स्वशासित द्वीप है जिसे बीजिंग अपने शासन के अधीन लाना चाहता है।
जापान के मंत्रिमंडल ने रिकॉर्ड 785 अरब डॉलर के बजट को मंजूरी दी है और कर्ज पर लगाम लगाने का संकल्प लिया। ताकाइची सरकार सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए अमेरिका के दबाव में मार्च तक 2% का लक्ष्य हासिल करने का वादा किया है। जापान दिसंबर 2026 तक अपनी मौजूदा सुरक्षा और रक्षा नीति में संशोधन करने की भी योजना बना रहा है ताकि अपनी सेना को और मजबूत किया जा सके।
द इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान अपनी आक्रमण क्षमता को बढ़ाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है ताकि दुश्मन के ठिकानों पर दूर से हमला किया जा सके। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के उस सिद्धांत से एक बड़ा बदलाव है जिसमें आत्मरक्षा तक ही बल प्रयोग को सीमित रखा गया था। 2022 में अपनाई गई वर्तमान सुरक्षा रणनीति में चीन को देश की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया गया है और अमेरिका के साथ सुरक्षा गठबंधन के तहत जापान के आत्मरक्षा बल की अधिक आक्रामक भूमिका काआह्वान किया गया है। ये मिसाइलें और ड्रोन दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों की रक्षा को मजबूत करेंगे।
1,000 किमी दूर तक मार करने वाली मिसाइलें
नई बजट योजना में जापान की स्टैंडऑफ मिसाइल क्षमता को मजबूत करने के लिए 970 अरब येन (6.2 अरब डॉलर) से अधिक का आवंटन किया गया है। इसमें घरेलू स्तर पर विकसित और उन्नत टाइप-12 सतह से जहाज पर मार करने वाली मिसाइलों की 177 अरब येन (1.13 अरब डॉलर) की खरीद शामिल है, जिनकी मारक क्षमता लगभग 1,000 किलोमीटर (620 मील) है।
मार्च तक कर दी जाएगी पहले बेड़े की तैनाती
जापान के दक्षिण-पश्चिमी कुमामोटो प्रांत में टाइप-12 मिसाइलों का पहला बेड़ा मार्च तक तैनात कर दिया जाएगा। जापान इस क्षेत्र में अपनी मिसाइल निर्माण प्रक्रिया को तेज कर रहा है। जापान की बढ़ती उम्र और घटती आबादी तथा कम सैन्य बल की समस्या के कारण सरकार का मानना है कि मानवरहित हथियार आवश्यक हैं। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि तटों की रक्षा के लिए जापान मार्च 2028 तक ‘शील्ड’ नामक प्रणाली के तहत निगरानी और रक्षा के लिए विशाल मानवरहित हवाई, समुद्री और पानी के भीतर चलने वाले ड्रोन तैनात करने पर 100 अरब येन (640 मिलियन डॉलर) खर्च करेगा।

