भारत का अमरीका से गैर जीएम मक्का एवं सोयाबीन आयात की अनुमति देने पर विचार

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नई दिल्ली। भारत और अमरीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता के लिए होने वाली बातचीत के क्रम में भारत सरकार भारतीय बाजार में सोयाबीन तथा मक्का की पहुंच सुनिश्चित करने की अमरीकी मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है।

समझा जाता है कि सरकार अमरीका से परम्परागत या गैर जी एम संवर्ग के सोयाबीन एवं मक्का के आयात की स्वीकृति देने का निर्णय ले सकती है लेकिन इसके प्रमाण पत्र जाने करने की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण है।

अमरीका में उत्पादित 80-90 प्रतिशत मक्का एवं सोयाबीन जी एम श्रेणी का होता है और विशुद्ध रूप से (मिलावट रहित) माल का आयात सुनिश्चित करना आसान काम नहीं होगा। इसके लिए प्रमाणपत्र नियति करने की प्रक्रिया को सख्त या जटिल बनाने की आवश्यकता पड़ेगी।

अमरीका के समक्ष यह शर्त रखनी होगी कि वह इस बात की गारंटी देगा कि भारत में यहां से केवल गैर जीएम उत्पाद ही भेजे जायेंगे। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अमरीकी प्रशासन इस तरह का प्रयास पग जारी करने के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं है क्योँकि वहां जीएम मक्का एवं सोयाबीन से गैर जीएम श्रेणी को अलग करना बहुत कठिन काम है। दरअसल अमरीका में ऐसा कोई खास इलाका नहीं है जहां सिर्फ गैर जीएम फसलों का ही उत्पादन होता है।

अमरीका में गैर जीएम मक्का एवं सोयाबीन का उत्पादन 10-15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होता है और इसलिए वहां उलझन बनी रहती है यद्यपि भारत को आंतरिक करार करने कुछ वक्त मिल गया है लेकिन मामला पूर्व स्तर पर ही अटका रहेगा यदि अमेरिका से रियायत चाहिए तो उसे भी कुछ रियायत देनी पड़ेगी।

अमरीका मक्का का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है जबकि सोयाबीन के उत्पादन एवं निर्यात में ब्राजील के बाद दूसरे नंबर पर है। गैर जीएम के भेष में यदि जीएम फसलों का का आयात शुरू हुआ तो देश के अंदर नया हंगामा शुरू हो सकता है। यदि अमरीका गैर जीएम उत्पाद के लिए प्रयास पत्र की गारंटी नहीं देता है तो सरकार को कोई ठोस निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है।