भारतीय परिधानों में सजे मॉडल्स ने रंगीन रोशनी में सधे कदमों से किया कैटवाॅक

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कोटा। रंगीन रोशनी, सधे कदमों से कैटवाॅक करती माॅडल्स और भारतीय परिधानों में सजे युवक और युवतियां, इन सभी को देखकर बुधवार शाम को विजयश्री रंगमंच पर माया नगरी सा अहसास हो चला था। मौका था कुतुर इन्स्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलोजी संस्थान की ओर से आयोजित कार्यक्रम परिधान उत्सव का।

कार्यक्रम में कोटा डोरिया और खादी से बने परिधानों को पहनकर कैटवाॅक करती माॅडल्स को देखकर हर कोई कोटा डोरिया और खादी पर गर्व की अनुभूति करने लगा। शो में कुतुर इन्स्टीट्यूट के छोटे व बडे माॅडल्स ने अलग अलग राउण्डस में खादी एवं कोटा डोरिया से बने परिधानों की अलग ही अंदाज में पेश किए। जिसमें 8 राउंड थे। मॉडल्स ने रैम्पवॉक कर विभिन्न कलेक्शन प्रस्तुत किए। वहीं सामाजिक संदेश देने का भी प्रयास किया।

पहला राउंड हैंडलूम कोटा डोरिया सारी, ताना बाना कलेक्शन का था। जिसमें लेके पहला पहला प्यार भरके आँखों मैं खुमार, आजा सनम मधुर चाँदनी में हम.. पर सधे कदमों से कैटवॉक किया।

दूसरा राउंड कालबेलिया थीम पर आधारित था, जिसमें मॉडल्स ने कोटा डोरिया स्पेशल इंडोवेस्टेर्न कलेक्शन पहनकर बिंदिया चमकेगी चूड़ी खनकेगी… गीत पर कैटवॉक किया। तीसरा राउंड किड्स शो था। जिसमें बच्चों ने “जरा हल्के गाड़ी हाँको, मेरे राम गाड़ी वाले.. गाने की धुन पर पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन किया।

चौथे राउंड में मॉडल्स लहरिया इंडोवेस्टेर्न पहनकर रैंप पर उतरी। इसके बाद नन्हे मुन्नों ने भी रैंप पर फैशन का जलवा बिखेरा। किड्स शो में फ्लावर थीम की ड्रेस आकर्षक लग रही थीं। बच्चों ने वेस्टर्न ड्रेसेस में फैशन के रंग दिखाए।

रघुपति राघव राजा राम की धुन पर आधारित छठा राउंड भारत की शान खादी पहनकर वेस्टर्न कलेक्शन प्रस्तुत किया। इसके साथ ही वेस्टर्न म्यूजिक पर वेस्टर्न ड्रेसेस ने भी लोगों को खासा आकर्षित किया।

पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश
इस दौरान से अंतिम चरण “से नो टु प्लास्टिक बेग्स अवरेनेस्स” थीम पर आधारित रहा। यह बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट थीम पर आधारित था। पेपर एवं पॉलिथीन ड्रेसेस और पेपर बेग्स पहनकर आईं मॉडल्स ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस दौरान निदेशक पुजा राजवंशी ने कहा की यह हमारे लिए सबसे बड़ा मंच है। जिसके माध्यम से आम जन को खादी एवं कोटा डोरिया के प्रति जागरूक करने का मौका मिलता है। इस मंच के माध्यम से संस्था द्वारा प्लास्टिक बेग के इस्तेमाल न करने के प्रति जागरूक करना था।