कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी एवं विनयश्री माताजी (ससंघ) के सान्निध्य में चल रहे चातुर्मास का आयोजन बुधवार को भी जारी रहा।
चातुर्मास के अंतर्गत तत्त्वार्थ सूत्र कक्षा में गणिनी विभाश्री माताजी ने ‘तीन लोक’ विषय पर विस्तारपूर्वक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने मध्य लोक के स्वरूप, उसकी रचना, जीवों के निवास स्थान एवं कर्म सिद्धांत के आधार पर उसके महत्व की विवेचना की।
अपने प्रवचन में माताजी ने कहा, भगवान के प्रतिदिन दर्शन करने का उद्देश्य यही है कि हमें यह स्मरण रहे कि प्रभु राग-द्वेष के बंधनों से मुक्त आत्मा हैं, जबकि हम उन्हीं बंधनों में जकड़ी आत्माएं हैं। यह बोध होते ही दर्शन का वास्तविक फल प्राप्त होना प्रारंभ हो जाता है। जिस प्रकार प्रभु संसार-जाल से मुक्त हुए, वैसे ही हमें भी उस मार्ग पर चलकर आत्ममोक्ष की ओर बढ़ना है।

