भगवान की भक्ति के लिए मनुष्य को संसार से दूर होना जरूरी नहीं: जया किशोरी

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कोटा। राष्ट्रीय दशहरा मेला 2025 में मंगलवार को विजयश्री रंगमंच पर मोटिवेशनल कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आध्यात्मिक वक्ता, प्रेरक जीवन प्रशिक्षक, समाज सुधारक और मोटिवेशनल गुरु जया किशोरी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से जीवन के सूत्र बताए।

जया किशोरी ने मंच पर आते ही नमस्कार के साथ राधे-राधे से कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने सुंदर उत्सव के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया। इसके बाद जया किशोरी ने जीवन से जुड़े विभिन्न उदाहरणों से एक से बढ़कर एक पंच मारे। आध्यात्म, ज्ञान , धन, जीवन , व्यापार और ईश्वर से जुडी हुईं विभिन्न बातें समझाई। समापन किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए भजन की कुछ पंक्तियों के साथ किया।

जया किशोरी ने कहा कि बच्चों में जिज्ञासा है, लेकिन रास्ता दिखाना अभिभावकों का काम है। आप मान के चलिए, आप अपना बच्चा नहीं पाल रहे, आने वाली पीढ़ी और समाज पाल रहे। आने वाला देश पाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम बच्चों को धन देने में व्यस्त हो गए और संस्कार देना भूल गए। अपने बच्चों को होली दिवाली का महत्व बताएं। इसके लिए पहले अभिभावकों को पढ़ना पड़ेगा, नहीं बताएंगे तो बच्चा वैलेंटाइन डे के बारे में ही सीखेगा। बच्चा लायक होगा तो धन स्वयं कमा लेगा और नालायक होगा तो आपका कमाया धन भी बर्बाद कर देगा।

जया किशोरी ने कहा कि व्यक्ति जीवन के अंतिम पड़ाव में शास्त्र पढ़ने लगता है। शास्त्र पढ़ने से ही जीवन जीने की कला सीखते हैं और बुढ़ापे में जीवन जीने के कला सीखने से क्या फायदा। भगवान श्रीकृष्ण ने युवा अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। उन्हें पता था यही समाज को बदलेगा।

जया किशोरी ने कहा कि भगवान की भक्ति के लिए संसार से दूर होना जरूरी नहीं है। प्राचीन काल में भक्ति भी ज्यादा थी और धन भी ज्यादा था। गीता में कहीं नहीं लिखा है की भक्ति के लिए धन से दूर हो जाइए। धन बुरा नहीं है, लक्ष्मी के साथ नारायण का होना जरूरी है।

यूं मारे पंच

  • आध्यात्मिकता का मतलब बाहरी बदलाव नहीं आंतरिक बदलाव से है।
  • जो व्यक्ति गलतियों से नहीं सीखता, वह गलतियों को दोहराते हैं। हमारे इतिहास से सीखना शुरू करें।
  • आज व्यक्ति का सबसे बड़ा रोग यह है कि लोग क्या कहेंगे ।हमेशा यह सोचकर का म करें कि ईश्वर को कैसा लगेगा।
  • जब अन्य भगवान से जुड़ता है तो प्रसाद बन जाता है और जल भगवान से जुड़कर चरणामृत बन जाता है। उसी प्रकार व्यक्ति भगवान से जुड़कर विशेष बन सकता है।
  • जब तक मांगी ना जाए तब तक किसी को राय ना दे।
  • किसी की मुस्कुराहटों का कारण बनना सीखे ।
  • इंस्टाग्राम पर हंसती हुई पिक्चर डालने का मतलब यह नहीं है कि उसके जीवन में दुख नहीं है।
  • अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी कृष्णा नहीं आएंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा, पूर्व महापौर महेश विजय, राजकुमार माहेश्वरी, पेंशनर समाज के अध्यक्ष रमेश गुप्ता, दिनेश विजय, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, एडीएम सिटी अनिल सिंघल, मेला अधिकारी अशोक त्यागी, उपायुक्त जवाहर जैन, अतिरिक्त मेला अधिकारी महेश गोयल, संदीप नायक, मेला प्रभारी एसएन राठौर, राकेश व्यास, राज दाधीच ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की।