बीरा भात भरण को.. वीरांगना मधुबाला की बेटी की शादी में मायरा लेकर पहुंचे बिरला

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6 वर्ष पहले बहन को दिया वचन निभाया, शहीद हेमराज को याद कर हुए भावुक

सांगोद। सीआरपीएफ के जवान हेमराज की पुलवामा में शहादत के 6 साल बाद आज उनके आंगन में पहली बार जश्न का माहौल था। वीरांगना मधुबाला सहित पूरे परिवार में खुशियों का माहौल था। पति का साया सिर से उठने के बाद “भाई” ने न सिर्फ परिवार को संबल दिया बल्कि अपना वचन निभाया।

आज जब बेटी की शादी का वक्त आया तो यह “भाई” अपनी बहन के घर मायरा (भात) लेकर पहुंचा और मायरे की इस अनूठी रस्म को निभाया। वीरांगना मधुबाला और “भाई” के इस भावनात्मक संबंध को देख यहां मौजूद हर कोई भाव विभोर हो उठा। होते भी क्यों नहीं आखिर भ्रातत्व का यह रिश्ता निभाने वाला कोई और नहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला थे, जो पुलवामा शहीद हेमराज मीणा की बेटी की शादी में मायरा लेकर पहुंचे थे।

पुलवामा हमले के बाद एक ओर शहीद हेमराज की शहादत से लोगों में गुस्सा था वहीं परिवार के सामने जीविकोपार्जन का संकट। मुसीबतों में घिरे परिवार को उस वक्त स्पीकर बिरला ने सम्बल प्रदान किया। बिरला ने उस रोज मधुबाला का भाई बनकर परिवार की हर जिम्मेदारी उठाने और उनकी हर सुख दुख में साथ देने का वादा किया।

बीते छह साल में राखी और भाई दूज पर वीरांगना मधुबाला ने उन्हें राखी बांधी और तिलक किए। शहीद हेमराज और वीरांगना मधुबाला की बेटी की शादी का मौका आया तो एक फिर से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शहीद के परिवार के साथ खड़े नजर आए।

भाई ने ओढाई चुनरी, बहन ने किया तिलक
सांगोद में आयोजित आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सांगोद विधायक एवं राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने वीरांगना मधुबाला को मायरा पहनाया। इस दौरान रीति रिवाज के अनुसार स्पीकर बिरला ने वीरांगना मधुबाला को चुनरी ओढाई तो वहीं बहन ने बत्तीसी भी झिलाई और स्पीकर बिरला का तिलक व आरती की। स्पीकर बिरला ने शदीह हेमराज मीणा की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान वीरांगना मधुबाला, स्पीकर बिरला व मौजूद सभी परिवार जन शहीद हेमराज को याद कर भावुक हो उठे।

समाज के लिए पथ प्रदर्शक महात्मा फुले और बाबा साहब के आदर्श-सिद्धान्त
स्पीकर बिरला नयापुरा स्थित महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में आयोजित महात्मा ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। बिरला ने कहा कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए इन विभूतियों का संघर्ष आज भी हमारे लोकतंत्र की दिशा तय करता है। बाबासाहेब ने संविधान के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक अधिकार और सम्मान पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया वहीं महात्मा फुले ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाते हुए असमानता के विरुद्ध सतत संघर्ष किया, जो आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। आज वंचित वर्ग के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, अब ज़रूरत है कि उनका लाभ प्रत्येक गाँव और परिवार तक पहुँचे। विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब अधिकार, शिक्षा और स्वावलंबन समाज के हर कोने तक पहुँचे।