नई दिल्ली। अधिशेष बारिश एवं विशाल भू भाग में आई भयंकर बाढ़ के कारण मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान खासकर पंजाब एवं हरियाणा में बासमती धान की फसल क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिल रही है।
इससे बासमती चावल के उत्पादन एवं निर्यात योग्य स्टॉक में कमी आने तथा कीमतों में तेजी का रुख बनने की संभावना है। पंजाब का अधिकांश इलाका भयंकर बाढ़ की चपेट में फंसा हुआ है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार खेतों में पानी जमा होने से बासमती धान की नई फसल की कटाई-तैयारी में भी देर हो सकती है। समझा जाता है कि मध्य अक्टूबर से इसकी प्रक्रिया आरंभ हो सकती है जबकि बासमती धान का भाव ऊंचा रह सकता है। मोटे अनुमान के मुताबिक इस बार पंजाब में बाढ़-वर्षा से करीब 30 प्रतिशत धान की फसल प्रभावित हुई है जिसका सीधा असर चावल के उत्पादन पर पड़ना निश्चित है।
हालांकि प्राकृतिक आपदाओं से हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं राजस्थान में भी फसल को नुकसान हुआ है मगर वहां क्षति का दायरा सीमित है। उल्लेखनीय है कि भारत से बासमती चावल के होने वाले सकल निर्यात में पंजाब का योगदान 40 प्रतिशत के करीब रहता है।
वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश से कुल मिलाकर 60.70 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था और 2025-26 के मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान इसके शिपमेंट में ज्यादा बदलाव होने की संभावना नहीं है। उधर पाकिस्तान में भी विनाशकारी बाढ़ से बासमती धान की फसल को भारी नुकसान होने की खबर मिल रही है जिससे इसके चावल का उत्पादन एवं स्टॉक घट जाएगा।
चूंकि वैधानिक रूप से बासमती चावल का निर्यात सिर्फ भारत और पाकिस्तान से ही होता है इसलिए इन दोनों देशों में उत्पादन घटने एवं दाम मजबूत रहने से बासमती चावल के वैश्विक बाजार मूल्य में भी स्वाभाविक रूप से तेजी आ सकती है।
बासमती चावल के उत्पादन एवं निर्यात में भारत अपने एक मात्र प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से कोसों आगे रहता है। भारत में इस बार बासमती की खेती में किसानों द्वारा अच्छी दिलचस्पी दिखाई गई और इसका उत्पादन बेहतर होने का अनुमान लगाया जा रहा था
मगर पंजाब-हरियाणा में आई भयंकर बाढ़ के बाद अब उत्पादन बढ़ने की संभावना क्षीण पड़ गई है और इसके दाम में गिरावट आने के बजाए तेजी-मजबूती का माहौल बनने की उम्मीद की जा रही है।

