बाढ़ और अतिवृष्टि से पंजाब में करीब 2 लाख हेक्टेयर में धान की फसल बर्बाद

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चंडीगढ़। केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य-पंजाब में यद्यपि इस वर्ष अत्यन्त अधिशेष बारिश होने तथा भयंकर बाढ़ का प्रकोप रहने से धान सहित अन्य खरीफ फसलों के काफी नुकसान होने की आशंका है मगर सरकारी अधिकारियों का मानना है कि चावल के उत्पादन में मामूली गिरावट ही आएगी।

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार यद्यपि बाढ़-वर्षा से पंजाब में करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल क्षतिग्रस्त हो गई है लेकिन जिन इलाकों में सामान्य बारिश हुई है या प्राकृतिक आपदाओं का गंभीर प्रकोप नहीं रहा है वहां फसल की हालत काफी अच्छी है और धान की उपज दर में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इससे धान-चावल के कुल उत्पादन में ज्यादा कमी नहीं आएगी।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2024-25 सीजन के दौरान पंजाब में बासमती सहित कुल 143.60 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था। कृषि विभाग के मुताबिक बासमती की तुलना में गैर बासमती धान की फसल को ज्यादा नुकसान होने की आशंका है क्योंकि इसकी खेती नदियों के निकटवर्ती क्षेत्रों में की जाती है जहां इस बार बाढ़ का सबसे गंभीर प्रकोप देखा जा रहा है।

वैसे पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान पंजाब में धान का क्षेत्रफल कुछ बढ़ा है। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में खेतों में मलवा एवं रेत आदि भरने से रबी फसलों की बिजाई प्रभावित होने की आशंका है। पंजाब सरकार ने केन्द्र से इस मलवे को हटाने के लिए आर्थिक सहायता देने का आग्रह किया है।

केन्द्र सरकार ने 2025-26 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर 463.50 लाख टन चावल खरीदने का लक्ष्य रखा है। धान की खरीद अगले महीने से शुरू होने वाली है।2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में 511.60 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जबकि वास्तविक खरीद 474 लाख टन तक ही पहुंच सकी।

इसमें पंजाब का योगदान 116.10 लाख टन, छत्तीसगढ़ का 78 लाख टन, उत्तर प्रदेश का 38.70 लाख टन, मध्य प्रदेश का 29.20 लाख टन तथा पश्चिम बंगाल का योगदान 19.90 लाख टन रहा था। इसके अलावा हरियाणा, तेलंगाना, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश एवं बिहार सहित कई अन्य राज्यों में भी धान-चावल की सरकारी खरीद की गई।