बांग्लादेश को शेख हसीना का प्रत्यर्पण नहीं करेगा भारत, जानिए क्यों

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ढाका। बांग्लादेश की एक अदालत ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अत्याचार के कथित आरोपों में मौत की सजा सुनाई है। हालांकि, इस मामले में सुनवाई के दौरान शेख हसीना ने न तो अपना पक्ष रखा और ना ही उनकी तरफ से कोई वकील पेश हुआ।

इसके बाद शेख हसीना के कट्टर विरोधी मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने उनके लिए मौत की सजा तय कर दी। पिछले साल जुलाई-अगस्त में शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की थी।

इसके बाद उनके खिलाफ हिंसा भड़क गई और शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। वह तब से भारत में शरण ली हुई हैं और यहीं से समय-समय पर अपने समर्थकों को संबोधित भी करती हैं।

बांग्लादेश ने कई बार भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। हालांकि, भारत ने बांग्लादेश के इस प्रस्ताव को मानने की अनिच्छा दिखाई है। हसीना के रहने के कारण ही दोनों देशों के संबंधों में तनाव है।

हालांकि भारत हसीना के बाद के ढाका के साथ साझेदारी बनाने के लिए उत्सुक है। इस बीच कई भू-राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि वे ऐसे परिदृश्य की कल्पना नहीं कर सकते जिसमें भारत पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा का सामना करने के लिए बांग्लादेश को सौंप दे।

शेख हसीना पर आरोप
बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना, शेख मुजीबुर रहमान की सबसे बड़ी बेटी हैं, जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व किया था। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं। 2001 के चुनाव में हारने के बाद, वह 2009 में दोबारा जीतने तक सत्ता से बाहर रहीं। उसके बाद, वह 15 साल तक पद पर रहीं और ऐसे चुनाव जीतीं जिनका विपक्षी दल अक्सर बहिष्कार करते थे या व्यापक कट्टरपंथी रुख के बीच उन्हें चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया जाता था। उन पर हजारों लोगों को जबरन गायब करने और लोगों की हत्याएं कराने का आरोप भी लगा। विरोधियों को बिना मुकदमे के जेल में डालने का आरोप भी लगे।

शेख हसीना के खिलाफ क्यों भड़का विद्रोह
बांग्लादेश में जुलाई 2024 में, 1971 के पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में लड़ने वालों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुआ एक छात्र विरोध प्रदर्शन, सुरक्षा बलों की क्रूर कार्रवाई के बाद, हसीना के इस्तीफे की देशव्यापी मांग में बदल गया। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, ढाका में छात्र प्रदर्शनकारियों की सशस्त्र पुलिस के साथ झड़प हुई और लगभग 1,400 लोग मारे गए। भारत की लंबे समय से सहयोगी रही हसीना 5 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली भाग गईं और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम नेता के रूप में पदभार संभाला। तब से बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है।