बंगाल में SIR से अवैध बांग्लादेशियों के चौंकाने वाले कबूलनामे, जानिए क्या बोले

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कोलकता। Special Intensive Revision: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के हाकिमपुर बीएसएफ चौकी के पास एक कच्चे, धूल भरे रास्ते पर शनिवार को असामान्य सी हलचल दिखी। बरगद के पेड़ की छांव तले, छोटे बैग लिए परिवार, बच्चों के हाथों में पानी की बोतलें, और चुपचाप बैठे पुरुष- सब एक ही अपील दोहराते दिखे: ‘हमें घर जाने दीजिए।’

ये वे लोग हैं जिन्हें सुरक्षा एजेंसियां ‘अवैध बांग्लादेशी निवासी’ बता रही हैं, ऐसे लोग जिन्होंने वर्षों तक पश्चिम बंगाल के अलग-अलग इलाकों में रहकर काम किया, पहचान पत्र बनवाए, और अब अचानक वापस लौटने की कोशिश में हैं। इस असामान्य उलटी पलायन की वजह है पश्चिम बंगाल में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) – यानी मतदाता सूची की सख्त जांच।

खुलना जिले की रहने वाली शाहिन बीबी अपने छोटे बच्चे के साथ सड़क किनारे इंतजार कर रही थीं। वो न्यू टाउन, कोलकाता में घरों में काम करके 20000 रुपये महीना कमाती थीं। उन्होंने साफ कहा, ‘हम गरीबी के कारण आए थे। दस्तावेज ठीक नहीं थे।

अब जांच हो रही है, इसलिए लौटना ही बेहतर लग रहा है।’ कई लोग मानते हैं कि उन्होंने आधार, राशन कार्ड या वोटर आईडी जैसे कागज दलाल और बिचौलियों के जरिए बनवाए थे।

एसआईआर में इन पुराने कागजों की दोबारा जांच हो रही है, इसलिए लोग पूछताछ और हिरासत से बचने के लिए खुद ही सीमा पर आ पहुंचे हैं। एक युवा वेटर बोला, ‘आठ साल रह लिया। अगर पुराने कागज मांगे तो क्या दिखाएंगे? जाने में ही भलाई है।’

बीएसएफ अधिकारियों के मुताबिक, हर दिन 150-200 लोग पकड़े जा रहे हैं और जांच के बाद उन्हें ‘वापस भेजा’ जा रहा है। 4 नवंबर, यानी एसआईआर शुरू होने के बाद से ही भीड़ बढ़नी शुरू हो गई। सभी लोगों के बायोमैट्रिक डेटा लेकर पुलिस और प्रशासन को भेजा जाता है।

भीड़ ज्यादा होने पर दो-तीन दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। गेट के अंदर बीएसएफ खाना दे रहा है। बाहर इंतजार कर रहे लोग सड़क किनारे चाय-ढाबों पर निर्भर हैं। 40 रुपये में चावल-अंडा और 60 रुपये में चावल-मछली मिल रहा है।

ढुलागोरी की फैक्टरी में काम करने वाले 29 वर्षीय मनीरुल शेख बताते हैं, ‘हमने 5000 से 7000 रुपये देकर भारत में एंट्री ली थी। लेकिन कागज बनवाने में 20000 रुपये तक खर्च हो गया। अब एसआईआर की जांच से सब डर गए हैं।’

इमरान गाजी नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि, ‘मैंने 2016, 2019, 2021 और 2024 में चार बार वोट दिया है। पर 2002 का कोई असली कागज नहीं। इसलिए लौट रहा हूं।’ वहीं एक पुलिस अधिकारी का कहना था, ‘दो दिन में 95 लोग आए थे। हमारे पास इतनी जगह ही नहीं है। बाद में हमने हिरासत लेना बंद कर दिया।’