कोटा। देवनारायण आवासीय योजना में बायोगैस प्लांट के सह उत्पाद के रूप में बनी प्रोम खाद में फास्फोरस की मात्रा को लेकर कोटा विकास प्राधिकरण ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। केडीए का कहना है कि कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा उर्वरक निर्धारित मापदंडों के अनुसार तैयार किए जा रहे हैं। जो सभी मानकों पर खरे हैं।
केडीए की ओर से उर्वरक निरीक्षक कृषि अधिकारी को अपना स्पष्टीकरण जवाब भेज दिया गया है। उल्लेखनीय की गत दिनों कृषि विभाग द्वारा देवनारायण योजना में तैयार की जा रही प्रोम खाद के 280 बैग सीज कर दिए गए थे।
केडीए ने अपने जवाब में कहा है कि कोटा विकास प्राधिकरण राज्य सरकार द्वारा गठित स्वायत्तशासी संस्था है। संस्था द्वारा समय-समय पर योजनाओं के निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए बायोगैस प्लांट में शत प्रतिशत नियमों की पालना सुनिश्चित हो रही है। प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर कृषि विश्वविद्यालय कोटा की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में उर्वरक का परीक्षण कराया जाता है।
प्रोम तैयार करने के लिए रॉ मटेरियल की जांच के लिए प्राधिकरण द्वारा 16 जनवरी 2023 तथा 24 अप्रैल 2025 को कृषि अनुसंधान विभाग कृषि विश्वविद्यालय से प्रोम टेस्टिंग कराई गई थी। जिनमें फास्फोरस की मात्रा 7.74%, 8.03% तथा 7.52% पाई गई थी। उक्त रिपोर्ट में प्रोम खाद सभी मानकों पर खरी पाई गई। केवल फास्फोरस की 0.3 से 0.5% तक कमी पाई गई। जिसके बाद रॉक फास्फेट की मात्रा में वृद्धि कर दी गई थी।
कृषि विभाग द्वारा जो 280 बैग सीज किए गए हैं। उन्हें भी टेस्टिंग करने के उपरांत ही बैगों में भरवाकर बैच वाइस बेचा जाना था। ये सभी 280 बैग तैयार किए जाने की प्रक्रिया में थे। इन्हें तैयार करके विक्रय करने के लिए रखा जाना था।
इन्हें बारदाना उपलब्ध नहीं होने के कारण मजदूरों द्वारा माल खराब होने से बचाने के लिए उक्त बैगों में भंडारण किया गया था। जिसकी जानकारी प्राधिकरण को नहीं थी। बैगों में भरा माल फिनिश गुड्स नहीं था। इन्हें प्रोसेस कर नवीन एजेंसी के निर्धारण के उपरांत नवीन एजेंसी से उपलब्ध बैगों में भरकर विक्रय किया जाना था। इस संबंध में प्राधिकरण स्तर पर कोई अनियमितता नहीं की गई है।

