कोटा। आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज के पावन सानिध्य में कोटा से जहाजपुर तक आयोजित जिनधर्म प्रभावना पदयात्रा ने जैन समाज को आस्था, प्रेम, संयम और पर्यावरण संरक्षण का सशक्त संदेश दिया।
गुरूदेव ने अपने प्रवचन में कहा कि चातुर्मास के बाद साधुओं का प्रस्थान विहार कहलाता है, किंतु जब श्रावक भी साधना भाव से साथ चलें तो वह पदयात्रा बन जाती है। यह पदयात्रा परमात्मा की जिनधर्म प्रभावना यात्रा है।
गुरूदेव ने गीतात्मक शैली में कहा— “मैं जा रहा हूं, जाते-जाते क्या दूं, अपने प्यार को आशीर्वाद के रूप में दूं।” उन्होंने आचार्य वीरसेन के वचनों का उल्लेख करते हुए कहा कि सम्यक दृष्टि का प्रमाण मृत्यु के समय नमोकार मंत्र का स्मरण है।
कबीर के दोहे “ढाई आखर प्रेम का…” के माध्यम से उन्होंने वात्सल्य और प्रेम को धर्म का मूल बताया। समाज को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि पदाधिकारियों का चयन होना चाहिए, चुनाव नहीं।
अधयक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि पदयात्रा के दौरान धर्मध्वज, रथ और वाद्य यंत्रों के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई। मार्ग में श्रावकों ने गुरूदेव का पाद प्रक्षालन, आरती की तथा पुष्पवर्षा कर जयकारे लगाए। पुण्यर्जक परिवार बग्घी पर सवार रहा।
गुरूदेव ने गुरु आस्था परिवार की सक्रिय सहभागिता की सराहना करते हुए चातुर्मास को ऐतिहासिक बताया। पदयात्रा के मुख्य संयोजक मिथुन मित्तल,सह संयोजक निलेश जैन खटकीडा,अजय जैन मेहरू बनाया थे।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
चैयरमेन यतीश जैन खेडावाला ने बताया कि पदयात्रा के दौरान यात्रा मार्ग में पौधारोपण किया जाएगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण और हरित संदेश को जन-जन तक पहुँचाया। यह पहल आध्यात्मिक साधना के साथ प्रकृति के प्रति दायित्व बोध को भी सुदृढ़ करेगी।
संयम का संकल्प
महामंत्री नवीन जैन दौराया ने बताया कि गुरुदेव के साथ शामिल सभी पदयात्रियों के लिए रात्रि भोजन निषेध अनिवार्य रहेगा। यह नियम पदयात्रा को तप, संयम और आत्मशुद्धि की साधना से जोड़ता है, जिससे श्रावकों में अनुशासन और आत्मसंयम की भावना प्रबल होगी।
स्वच्छता का संकल्प
मिथुन मित्तल ने बताया कि यात्रा मार्ग में स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। सुबह की आहार चर्या व श्रावको के भोजन व पदयात्रा निकलने के बाद स्थानो की सफाई व्यवस्था भी की जाएगी किसी भी स्थान को प्रदुषित करते आगे नहीं बढा जाएगा।
यात्रा मार्ग एवं कार्यक्रम
गुरु आस्था परिवार के महामंत्री नवीन जैन दौरायाने यात्रा मार्ग की जानकारी देते हुए बताया कि 15 से 19 दिसंबर तक विभिन्न पड़ावों से होते हुए यात्रा अतिशय क्षेत्र जहाजपुर पहुँचेगी, जहाँ प्रवेश एवं समापन समारोह होगा। 20 दिसंबर को प्रातः 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान का अभिषेक, शांतिधारा एवं यात्रा समापन समारोह आयोजित किया जाएगा।

