कोटा। तपोभूमि प्रणेता एवं पर्यावरण संरक्षक आचार्य प्रज्ञासागर जी मुनिराज ने कलश स्थापना के साथ अपने चातुर्मास की घोषणा कर कलश स्थापना करते ही भक्तों में हर्ष की लहर का संचार किया। घोषणा के साथ ही चारों ओर से “जय गुरुदेव” के नारों से प्रज्ञालोक गुंजायमान हो गया। कलश स्थापना समारोह का प्रारंभ मंगलाचरण से किया गया।
गुरू आस्था परिवार कोटा अध्यक्ष लोकेश जैन एवं महामंत्री नवीन दोराया ने बताया कि इस पावन अवसर पर स्वर्ण कलश सहित 3 मुख्य कलश एवं 10 अन्य कलशों की स्थापना की गई। गुरु आस्था परिवार, संपूर्ण दिगंबर जैन समाज समिति, जैन मंदिर के अध्यक्ष व मंत्री तथा बाहर से आए साधकों ने गुरुवर को श्रीफल भेंट किया। तीर्थ की रक्षा के लिए एक कलश की स्थापना की गई मुख्य आकर्षण चातुर्मास स्वर्ण कलश रहा।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
चैयरमेन यतिश जैन खेडावाला ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश जैन व भाजपा जिला महामंत्री जगदीश जिंदल ने भी गुरुदेव को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। मंगलाचरण महावीर नगर महिला मंडल की महिलाओं, अविशी इंदौर व सुपात्रा देसाई ने किया।
चातुर्मास नहीं चतुर मास है
गुरुदेव ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह चातुर्मास नहीं बल्कि चतुर मास होते हैं क्योंकि इन चार माह में सबसे अधिक त्योहार आते हैं। सावन का पावन महीना, सोलह करण व्रत पूजन, भादव माह के पवित्र 32 दिन आते हैं। उन्होंने श्रावकों से चार माह तक धर्म, ध्यान, उपासना, साधना करने का आह्वान किया।
गुरुदेव ने चातुर्मास के कलशों को कल्पवृक्ष के समान बताया और कहा कि कलश चातुर्मास की तपस्या, ध्यान और साधना के प्रभाव को श्रावकों के घर तक पहुंचाने का एक माध्यम होता है। जहां आचार्य संघ विराजमान होते हैं, वहीं चार माह के लिए कलश स्थापना की जाती है और इसी अवधि में साधकों के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

