प्रज्ञालोक में दीपावली की मंगलमय शुरुआत, महावीर स्वामी के उपदेशों से गूंजा परिसर

0
9

कोटा। आलोक, आनंद और आध्यात्मिक चेतना का पर्व दीपावली इस वर्ष प्रज्ञालोक, महावीर नगर प्रथम में भक्तिभाव और अध्यात्म के अद्भुत संगम के साथ आरंभ हुआ। धनतेरस की पूर्ण संध्या पर भगवान आदिनाथ की स्तुति के साथ भव्य दीप प्रज्ज्वलन हुआ। 48 दीपों की अलौकिक ज्योति से आलोकित परिसर में सायं 6:40 बजे से भक्तामर पाठ की आराधना आरंभ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

जैनाचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने अपने प्रवचन में कहा कि धनतेरस, जिसे मूल रूप से ‘धन्य तेरस’ कहा जाता है, भगवान महावीर स्वामी के अंतिम उपदेश की स्मृति से जुड़ी है। जैन दर्शन के अनुसार, इस दिन उनके उपदेश को सुनकर पशु, पक्षी और समस्त मानवता धन्य हो गई थी। कालांतर में यह ‘धन्य तेरस’ बोलचाल में ‘धनतेरस’ कहलाने लगी। आज जहाँ यह पर्व सोना-चांदी और बर्तनों की खरीद से जुड़ गया है, वहीं इसका मूल संदेश आत्मिक संपन्नता और धर्म की साधना का है।

भगवान महावीर स्वामी ने अपने अंतिम उपदेश में कहा था कि जो व्यक्ति सदैव धन और भोजन की चिंता में उलझा रहता है, वह धर्म की चिंता नहीं कर सकता। उन्होंने जीवन का सार यही बताया कि जैसे मनुष्य धन अर्जन में समय देता है, वैसे ही उसे पुण्य कमाने के लिए भी समय निकालना चाहिए। धनतेरस के दिन 13 माला जप करना और ब्रह्म मुहूर्त में द्रव्य समर्पित करना शुभ माना गया है।

इसी आध्यात्मिक भाव के साथ प्रज्ञालोक में दीपावली पर्व की श्रृंखला प्रारंभ हुई। धनतेरस से पूर्व संध्या पर परिसर में दीपों की पंक्तियाँ सजीं, और भक्तों ने आत्मज्योति प्रज्वलित करने का संकल्प लिया। दीपावली पर्व की इस श्रृंखला में 21 अक्टूबर, मंगलवार को निर्वाण लाडू महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 5:00 बजे निर्वाण कांड के पाठ के साथ होगा, तत्पश्चात प्रातः 6:26 बजे सूरज की प्रथम किरण के साथ निर्वाण लाडू (बोली के द्वारा) चढ़ाया जाएगा।