कोटा। महावीर नगर प्रथम स्थित प्रज्ञालोक में चल रहे नौ दिवसीय जिनेन्द्र महाअर्चना महा महोत्सव के अंतर्गत रविवार को आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज के सान्निध्य एवं मार्गदर्शन में श्री कल्याण मंदिर विधान का आयोजन श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुआ।
श्रीजी की शांतिधारी के पश्चात सुबह 8:30 बजे विधान का शुभारंभ हुआ, जिसे गुरुदेव प्रज्ञासागर मुनिराज ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सम्पन्न कराया।
आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने प्रवचन में कहा कि श्री कल्याणमंदिर विधान जैन परंपरा का अत्यंत महत्वपूर्ण विधान है, जिसमें भगवान पार्श्वनाथ की आराधना एवं पूजन के माध्यम से भय और पाप से मुक्ति, कल्याण और शांति की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
उन्होंने इसे जीवन में अभय और शुद्धि का साधन बताते हुए कहा कि जिस प्रकार नाव समुद्र में डूबते हुए प्राणियों को पार उतारती है, उसी प्रकार यह विधान जीवों को पाप और भय से मुक्त कर आत्मकल्याण का मार्ग दिखाता है।

