नई दिल्ली। Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्म ध्वजा फहरा दी। अभिजीत मुहूर्त में उन्होंने धर्म ध्वजा फहराई। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ सहित हजारों गणमान्य लोग इस मौके पर मौजूद रहे।
श्री राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के साथ ही यह संदेश भी दिया गया है कि मंदिर का निर्माण कार्य संपूर्ण हो चुका है। इस समय पूरी अयोध्या राममय हो गई है। करीब आठ अतिथियों को समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम के मद्देनजर पूरी अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस, सुरक्षा बलों और एजेंसियों की नजर है। अयोध्या की सुरक्षा में 14 एसपी स्तर के अधिकारी और 7000 जवान तैनात किए गए हैं।
रक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार इस ध्वज को गुजरात में अहमदाबाद के एक पैराशूट स्पेशलिस्ट ने बनाया है। इसका वजन दो से तीन किलो के बीच है। यह 161 फीट ऊंचे मंदिर के शिखर और 42 फीट ऊंचे झंडे के पोल के हिसाब से बनाया गया है।
धर्म ध्वजा पर दीप्तिमान सूर्य की छवि है अंकित
10 फीट ऊंचे और 20 फीट लंबे समकोण त्रिभुजाकार ध्वज पर भगवान श्री राम के तेज और पराक्रम का प्रतीक एक दीप्तिमान सूर्य की छवि अंकित है, जिस पर कोविदारा वृक्ष की छवि के साथ ‘ओम’ अंकित है।
नारदपुराण में लिखा है ध्वजारोपण का महत्व
पुराणों में ध्वजारोपण का बहुत अधिक फल बताया गया है। नारदपुराण में कहा गया है कि जो भी भगवान् विष्णु के मंदिर में ध्वजारोपण करता है, वह ब्रह्मा आदि देवताओं द्वारा पूजित होता है। यह भी कहा जाता है कि मंदिर में ध्वजारोपण का फल किसी को सुवर्ण का एक हजार भार दान देने के बराबर ही माना जाता है। अलावा स्नान, तुलसी की सेवा शिवलिंग का पूजन-ये सब कर्म ही ध्वजारोपण के बराबर ही माने जाते हैं। ध्वजारोपण का कर्म सब पापों को दूर करने वाला है। ध्वज का दण्ड बांस का अथवा साखू आदि का हो तो कहा जाता है कि इससे सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। जो भी ध्वजा को आरोपित करता है वो सभी अनेकों महापातकों से मुक्त हो जाते हैं। ऐसा भी कहा गया है कि भगवान् विष्णु के मंदिर में स्थापित किया हुआ ध्वज जब अपनी पताका फहराने लगता है, उस समय

