जयपुर। मार्च-अप्रैल की तुलना में मई-जून के दौरान प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण थोक मंडियों में सरसों की आवक कम हुई और बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा रहने के कारण सरकारी एजेंसियों को इसकी खरीद में नगण्य सफलता मिली।
आंकड़ों के अनुसार वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन के शुरूआती चार महीनों में यानी मार्च-जून 2025 के दौरान थोक मंडियों में एवं सरकारी क्रय केन्द्रों पर कुल मिलाकर 60.25 लाख टन सरसों की आवक हुई।
इसमें से सरकारी एजेंसियों द्वारा 9.75 लाख टन सरसों की खरीद की गई। इसके तहत मार्च में 50 हजार टन, अप्रैल में 9 लाख टन एवं मई में 25 हजार टन की खरीद शामिल है जबकि जून में कोई खरीदारी नहीं हुई।
फर्म के अनुसार नैफेड / हैफेड के पास 7 लाख टन सरसों का पुराना स्टॉक बचा हुआ था और इस बार 9.75 लाख टन की खरीद से स्टॉक बढ़कर 16.75 लाख टन पर पहुंच गया। इसमें से 2.50 लाख टन की बिक्री हो गई और 1 जुलाई 2025 को उसके पास 14.25 लाख टन का स्टॉक बच गया।
सरकारी क्रय केन्द्रों से इतर थोक मंडियों में मार्च में 14.50 लाख टन, अप्रैल में 15 लाख टन, मई में 11 लाख टन तथा जून में 10 लाख टन सरसों की आवक हुई।
इसमें से मार्च में 11.50 लाख टन, अप्रैल में 13 लाख टन, मई में 10.50 लाख टन तथा जून में 11.25 लाख टन सहित कुल 46.25 लाख टन सरसों की क्रशिंग हो गई।
मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी के अनुसार 1 मार्च को 1.00 लाख टन सरसों का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद था जबकि चालू सीजन में 109.25 लाख टन का उत्पादन आंका गया।
इसमें से मंडियों में 60.25 लाख टन की आवक हुई और 50 लाख टन सरसों का स्टॉक किसानों के पास बचा हुआ है। इसके अलावा सरकारी एजेंसियों के पास 14.25 लाख टन तथा मिलर्स-प्रोसेसर्स एवं व्यापारियों- स्टाकिस्टों के पास 7.75 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ है।
इस तरह 1 जुलाई 2025 को देश में कुल 72 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध था। 2024-25 के रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान राजस्थान में 51 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, हरियाणा / पंजाब में 12.50 लाख टन, मध्य प्रदेश में 13.50 लाख टन, गुजरात में 4.75 लाख टन तथा बंगाल-बिहार सहित अन्य राज्यों में 14.50 लाख टन के साथ कुल 111.25 लाख टन सरसों का घरेलू उत्पादन आंका गया।
इसमें से 2 लाख टन की आवक फरवरी में हो गई और मार्च से इसका उत्पादन 109.25 लाख टन आंका जा रहा है। अक्टूबर-नवम्बर से सरसों की बिजाई आरंभ होगी।

