पाकिस्तान और अफगानिस्तान शांति वार्ता विफल होने से फिर जंग के हालात

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काबुल। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही शांति वार्ता इस्तांबुल में विफल हो गई है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि अफगान तालिबान ने सहयोग का आश्वासन दिया था, लेकिन पाकिस्तान लिखित गारंटी और सुरक्षा व्यवस्था की मांग कर रहा था।

इस बीच पाकिस्तान और तालिबान के हुक्मरानों की ओर से जैसे बयान आ रहे हैं, उससे दोनों ही देशों के बीच जंग की आहट महसूस की जा रही है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने धमकी दी है कि वार्ता के नाकाम रहने पर युद्ध का रास्ता खुला हुआ है। वहीं, तालिबान ने कहा है कि अगर अफगानिस्तान पर हमला हुआ तो इस्लामाबाद को निशाना बनाया जाएगा।

न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अफगान तालिबान ने कतर और तुर्की के मध्यस्थों को बताया कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पाकिस्तान का आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा है। अफगान तालिबान के हवाले से सूत्रों ने कहा, “अफगान तालिबान ने पाकिस्तान की अतार्किक और तर्कहीन मांगों को मानने से इनकार कर दिया।

उनका कहना था कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी गतिविधि के लिए नहीं किया जा रहा है।” अफगान तालिबान की एक और मांग थी – पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र से अमेरिकी ड्रोन को अफगानिस्तान में प्रवेश न करने दे। सूत्रों ने कहा, “इसे भी स्वीकार नहीं किया गया।”

तालिबान के काबुल और कंधार गुट में रस्साकस्सी
सूत्रों ने बताया, “तुर्की में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही बातचीत के दौरान अफगान तालिबान शासन के दो गुटों, मुख्यतः ‘काबुल समूह’ और ‘कंधार समूह’ के बीच स्पष्ट विभाजन देखा गया। अफगान तालिबान प्रतिनिधिमंडल काबुल और कंधार के साथ लगातार संपर्क में था।”