पंजाब एवं राजस्थान में अतिवृष्टि से खरीफ फसलों को भारी नुकसान

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file photo

नई दिल्ली। अगस्त माह के दौरान नियमति रूप से हुई जोरदार बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाने तथा नदियों में उफान के कारण भयंकर बाढ़ आने से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना एवं गुजरात जैसे राज्यों में विभिन खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ है जिसमें धान, कपास, बाजरा, मक्का एवं दलहन-तिलहन सम्मिलित हैं।

एक अग्रणी बाजार विश्लेषक फर्म के अनुसार पंजाब और राजस्थान में खरीफ फसलों को बाढ़-वर्षा से अन्य राज्यों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ है। इन दोनों प्रांतों का अधिकांश भाग भयंकर बाढ़ की चपेट में फंस गया जबकि अन्य प्रांतों के सीमित क्षेत्र में फसलें क्षतिग्रस्त हुई।

पंजाब में इस बार सामान्य औसत से 74 प्रतिशत ज्यादा बारिश होने से अनेक इलाकों में खरीफ फसलें जलमग्न हो गई। राज्य में करीब 42.40 लाख हेक्टेयर कृषि जिसमें धान, मक्का गन्ना एवं कपास आदि की खेती होती है। फसलों के जलमग्न होने से उसे भारी क्षति होने की आशंका है। पंजाब सरकार ने राज्य के सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है। भारी वर्षा एवं भयंकर बाढ़ से पंजाब में बागवानी फसलें भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

कृषि मंत्रालय के अनुसार पंजाब में करीब 30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है जिसमें से 1.50 लाख हेक्टेयर में फसल के पूरी तरह बर्बाद हो जाने का आरम्भिक अनुमान है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2024-25 के मार्केटिंग सीजन के दौरान केन्द्रीय पूल के लिए करीब 300 लाख टन गेहूं एवं 540 लाख टन चावल खरीदा गया

जिसमें अकेले पंजाब का योगदान क्रमश: 39 प्रतिशत एवं 33 प्रतिशत रहा। इस बार भी पंजाब में धान-चावल का शानदार उत्पादन होने की उम्मीद की जा रही थी मगर बाढ़-वर्षा के प्रकोप से धान की फसल को हुए नुकसान के कारण चावल उत्पादन घट जाने की संभावना है।

उधर राजस्थान के अजमेर, टोंक, कोटा, बूंदी, जयपुर एवं दौसा सहित कुछ अन्य जिलों में अत्यन्त मूसलाधार वर्षा होने तथा भयंकर बाढ़ आने से ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली, उड़द तथा मूंग-मोठ की फसल को काफी क्षति होने की सूचना मिल रही है। अगस्त में तेलंगाना में भी सामान्य औसत से 50 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। पंजाब के चार दशकों की सबसे भयंकर बाढ़ ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया।