प्रोजेक्ट जिंदगी- एक नई उम्मीद: सुधा मेडिकल कॉलेज व जेसीआई कोटा स्टार की पहल
कोटा। सुधा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल तथा जेसीआई कोटा स्टार की ओर से “प्रोजेक्ट जिंदगी- एक नई उम्मीद” प्रकल्प के तहत् शुरू किए गए निशुल्क बाल हृदय रोग निदान केंद्र पर अब एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में व्यापक प्रचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रोजेक्ट जिंदगी के तहत् नन्हें बच्चों के दिल (हार्ट) का ऑपरेशन पूरी तरह निशुल्क किया जाता है।
सुधा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के निदेशक डॉ. पलकेश अग्रवाल ने बताया कि हाड़ौती सहित राजस्थान भर में जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease – CHD) की बढ़ती चुनौती को देखते हुए 19 जून को प्रकल्प की शुरुआत की गई थी।
शुरुआती 3 महीने में ही 56 बच्चों को लाभ मिला है। जिनकी निशुल्क 2डी इको कार्डियोग्राफी की गई है। इनमें से 5 बच्चों को ऑपरेशन के योग्य माना गया। जिनका निशुल्क हार्ट का ऑपरेशन किया गया है। शेष बाल मरीजों की दवा चल रही है और आवश्यकता होने पर शल्य क्रिया की जाएगी।
जेसीआई कोटा स्टार के प्रेसीडेंट तनुज खंडेलवाल ने बताया कि यह केंद्र एमबीएस हॉस्पिटल, नयापुरा कोटा के सामने ही संचालित हो रहा है। इसकी सभी सेवाएं पूर्णतः निशुल्क हैं। जांच के लिए पूर्व में पंजीयन कराना आवश्यक है।
अब आवश्यकता होने पर एंबुलेंस की सुविधा भी दी जाएगी। साथ ही शुरुआती महीनों की सफलता को देखकर ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार प्रसार का निर्णय किया गया है। जिससे जरूरतमंद परिवार के बच्चे तक प्रोजेक्ट जिंदगी का लाभ पहुंचाया जा सकेगा।
प्रॉजेक्ट कोऑर्डिनेटर और मेंटर संजय गोयल ने बताया कि यह केंद्र उन नवजात शिशुओं एवं बच्चों के लिए समर्पित है, जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित हैं, लेकिन समय पर जांच और उपचार के अभाव में गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करते हैं। यह पहल हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है कि हर बच्चा स्वस्थ दिल के साथ बड़ा हो सके।
जेसीआई के वरिष्ठ सदस्य गौरव सोनी एवं पंकज बजाज ने बताया कि हाड़ौती क्षेत्र के एकमात्र बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपेश गुप्ता द्वारा जाँच की जाती है। उनके व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता के माध्यम से अनेक मासूमों को जीवनदान देने का प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम निदेशक पवन गुप्ता ने बताया कि दोनों संस्थाओं का उद्देश्य हर जरूरतमंद बच्चे को बिना किसी आर्थिक रुकावट के समय पर निदान एवं उपचार की सुविधा प्रदान करना है। ताकि कोई भी मासूम केवल संसाधनों की कमी से अपनी धड़कनें न खोए।

