मुम्बई। हालांकि डिस्टीलर्स ड्राईड ग्रेन्स विद सोल्यूबल्स (डीडीजीएस) के बढ़ते उत्पादन एवं उपयोग के कारण घरेलू प्रभाग में सोया डीओसी की मांग एवं खपत प्रभावित हो रही है और कीमतों पर दबाव भी देखा जा रहा है।
लेकिन इसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में अमरीका, अर्जेन्टीना एवं ब्राजील के मुकाबले भारतीय सोयामील का निर्यात ऑफर मूल्य ऊंचा चल रहा है जिससे प्रमुख आयातक देश इसकी खरीद में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण एशिया के अनेक देश भारतीय सोयामील के परम्परागत खरीदार रहे हैं जिसमें वियतनाम, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, ताईवान एवं बांग्ला देश आदि शामिल हैं।
बाद में भारतीय सोयामील के शीर्ष खरीदार देशों की सूची में ईरान का नाम भी जुड़ गया। लेकिन अब इन परम्परागत देशों के आयातक अमरीका और लैटिन अमरीकी देशों से सस्ते मगर जीएम सोयाबीन से निर्मित सोयामील की खरीद को प्राथमिकता दे रहे हैं
जिससे वहां भारतीय सोया डीओसी का निर्यात प्रभावित होने लगा है। लेकिन दूसरी ओर एक अच्छी बात यह है कि जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय देश भारतीय सोयामील का आयात बढ़ा रहे हैं क्योंकि वहां गैर जीएम सोयाबीन से निर्मित सोयामील को ज्यादा पसंद किया जाता है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के आरंभिक पांच महीनों में यानी अप्रैल-अगस्त 2025 के दौरान देश से कुल 7.57 लाख टन सोयामील का निर्यात हुआ जो गत वर्ष के इन्हीं महीनों के शिपमेंट 8.49 लाख टन से कम रहा।
इसके तहत भारत से अप्रैल में 2.31 लाख टन, मई में 1.57 लाख टन, जून में 1.06 लाख टन, जुलाई में 1.84 लाख टन तथा अगस्त 2025 में महज 80 हजार टन सोयामील का निर्यात संभव हो सका। वित्त वर्ष 2024-25 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश से करीब 21.28 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात शिपमेंट किया गया था।
सोयाबीन का घरेलू उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 126.24 लाख हेक्टेयर से 5.81 लाख हेक्टेयर घटकर इस बार 120.43 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। कुछ क्षेत्रों में अधिशेष वर्षा एवं भयंकर बाढ़ से सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचने की सूचना भी मिल रही है।

