कोटा/केशवराय पाटन। आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ससंघ ने रविवार को भगवान मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र केशवराय पाटन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान मुनिसुव्रतनाथ का नाम स्वयं यह संदेश देता है कि वही व्यक्ति उनका स्वामी कहलाता है, जो मुनियों द्वारा निर्देशित सुव्रतों को धारण करता है।
आचार्य श्री ने कहा कि जीवन में स्वयं को व्रतों से हीन नहीं रखना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के पास कम से कम एक व्रत अवश्य होना चाहिए। आपने नियम लिया, अर्थात आपने धर्म ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि जब भी भगवान या गुरु के दर्शन के लिए जाएँ, एक छोटा-सा नियम अवश्य लें। छोटे-छोटे नियमों का नियमित पालन ही व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर स्थापित करता है।
आचार्य जी ने आचार्य कुंदकुंद की जिनदेशना उद्धृत करते हुए कहा कि नियम ही धर्म है और चरित्र ही वास्तविक धर्म है। उन्होंने कहा कि मनुष्य में असंख्य क्षमताएँ विद्यमान हैं, किंतु स्वयं की योग्यता को प्रकट न कर पाने के कारण व्यक्ति जीवन में चिंतित और व्याकुल बना रहता है। उन्होंने साधकों का आह्वान किया कि आत्मविश्वास, अनुशासन और व्रत के माध्यम से जीवन को धर्ममय बनाया जा सकता है।

