कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चातुर्मास के अवसर पर रविवार को गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा कि अपने प्रवचन में आयु, प्रभाव, सुख, यश और चरित्र जीवन की मूल धुरी हैं।
अहंकार, देहाभिमान और गृहस्थ आसक्ति बढ़ने पर सद्गुण क्षीण होते हैं तथा पुण्य के क्षय से आध्यात्मिक उन्नति में बाधा आती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन पर नाम का गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए बच्चों को सदैव शुभ और अर्थपूर्ण नाम ही प्रदान करने चाहिए। बचपन में रखे गए उपनाम या हास्यासपूर्ण नाम भी व्यक्तित्व पर स्थायी असर डाल सकते हैं।
माताजी ने श्रद्धालुओं को भगवान के 108 नामों का जाप करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह बुद्धि-विकास और आत्मिक प्रगति के लिए अत्यंत लाभकारी साधना है। महामंत्री अनिल जैन ठोरा ने बताया कि 28 अगस्त से दसलक्षण पर्व के पावन अवसर पर श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन आर्यिका विभाश्री माताजी के सानिध्य में होगा। इसके लिए पंजीकरण प्रपत्र, नियमावली एवं श्रावक किट का विमोचन रविवार को संपन्न हुआ।

