नहीं आएगी गेहूं के भावों में तेजी, वैश्विक बाजार में नरमी बने रहने की संभावना

0
20

नई दिल्ली। भारत में गेहू का भाव सीमित उतार-चढ़ाव के साथ एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर हो गया है और अगले कुछ समय तक इसमें जोरदार तेजी आना मुश्किल लगता है। यही स्थिति वैश्विक बाजार में भी देखी जा रही है जहां कीमतों पर दबाव बना हुआ है और आगे भी मंदी का माहौल बरकरार रहने की संभावना है। रूस से गेहूं के निर्यात की गति तेज होने लगी है।

अमरीका, कनाडा तथा यूरोपीय संघ में नए गेहूं की जोरदार आवक हो रही है जबकि ऑस्ट्रेलिया में नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ हो गई है। अर्जेन्टीना में भी जल्दी ही गेहूं फसल की कटाई शुरू हो जाएगी। भारत में गेहूं की बिजाई का सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो गया है। विभिन्न आपूर्तिकर्ता देशों में उत्पादन बेहतर होने से गेहूं का विशाल निर्यात योग्य स्टॉक मौजूद है जबकि आयातक देश इसकी खरीद में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं।

आगामी समय में वैश्विक निर्यात बाजार में आपूर्तिकर्ता देशों को गंभीर आपसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है और गेहूं बेचने के लिए आक्रामक नीति अपनानी पड़ सकती है। 2025-26 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान गेहूं का वैश्विक उत्पादन बढ़कर 81.50 करोड़ टन से भी अधिक के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।

इसके तहत सभी प्रमुख निर्यातक देशों- रूस, अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, यूक्रेन तथा कजाकिस्तान में उत्पादन बढ़ने की संभावना है। शिकागो तथा पेरिस सहित अन्य प्रमुख एक्सचेंजों में गेहूं के वायदा मूल्य पर दबाव बना हुआ है। निवेशकों के पास भारी भरकम नेट शार्ट पोजीशन के लिए स्टॉक मौजूद है मगर इसकी बिक्री की गति धीमी देखी जा रही है।

एक अग्रणी रेटिंग एजेंसी ने पहले वर्ष 2025 के लिए गेहूं का औसत वैश्विक बाजार भाव 5.69 डॉलर प्रति बुशेल रहने का अनुमान लगाया था मगर अब उसे घटाकर 5.46 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया है।

आगे इसमें कुछ और कटौती हो सकती है। इधर भारत में सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और घरेलू बाजार भाव लगभग स्थिर बना हुआ है। किसानों में गेहूं की खेती के प्रति उत्साह बरकरार है। वैसे सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- उत्तर प्रदेश में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य घटाकर 5.19 लाख हेक्टेयर नियत किया गया है जो गत वर्ष के क्षेत्रफल 102.65 लाख हेक्टेयर से कम है।