नगर निगम एवं कोटा थर्मल पॉवर प्लांट पर 7.20 करोड़ रुपये का जुर्माना

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चंबल नदी प्रदूषित करने के मामले में एनजीटी ने लगाया जुर्माना

जयपुर/कोटा/ भीलवाड़ा। चम्बल नदी को प्रदूषण के मामले में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने नगर निगम एवं कोटा थर्मल पॉवर प्लांट पर 7.20करोड़ का जुर्माना लगाया है।

न्यायाधिक ने केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ, भोपाल ने देश की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी चंबल नदी में प्रदूषण, अवैध खनन और अतिक्रमण, सीवरेज कनेक्टिविटी के मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए नगर निगम कोटा पर 3.60 करोड़ एवं प्रदूषित पानी को चम्बल नदी में छोड़ने के मामले में कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन पर 3.60 करोड़ का जुर्माना लगाया है।

यह आदेश न्यायिक सदस्य शिव कुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के मार्फत दायर जनहित याचिका में दिये। ट्रिब्यूनल ने निर्णय में कहा कि चंबल नदी तट पर अवैध खनन और अतिक्रमण न केवल मानव जीवन के लिए खतरा हैं, बल्कि यह गंभीर रूप से विलुप्तप्राय घड़ियाल और गंगेटिक डॉल्फिन के अस्तित्व के लिए भी घातक हैं।

एनजीटी ने राज्य पर्यावरण सचिव को सक्षम अधिकारियों की एक समिति बनाकर अवैध खनन और अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। जाजू ने बताया कि पर्यावरण सचिव को वनस्पति आधारित उपाय, मिट्टी व नमी संरक्षण कार्य और अन्य यांत्रिक उपायों के जरिए नदी को पुनर्जीवित करने के समयबद्ध निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि नदी में निरंतर जल प्रवाह बनाए रखना आवश्यक है ताकि प्रदूषण की रोकथाम और जल गुणवत्ता में सुधार संभव हो सके।

रेत खनन पूरी तरह से सस्टेनेबल सैंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइडलाइंस 2016 और एनफोर्समेंट एंड मॉनिटरिंग गाइडलाइंस 2020 के अनुरूप करने और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी देते हुए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की “रिवर सेंट्रिक अर्बन प्लानिंग गाइडलाइंस” की भी कड़ाई से पालन करने के एनजीटी ने निर्देश दिये।

ट्रिब्यूनल ने पाया कि नगर निगम कोटा द्वारा सीवरेज निस्तारण व्यवस्था दयनीय है, कुल 1,41,568 घरों में से केवल 49,890 घरों को ही मुख्य सीवर लाइन से जोड़ा गया है, जो संतोषजनक नहीं है। एनजीटी ने नगर निगम कोटा को मार्च 2026 तक सभी घरों को सीवरेज लाइन से जोड़ने के निर्देश दिये।

नगर निगम की ढीलीढाली कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त करते हुए एनजीटी ने 1 अप्रैल 2020 से प्रति माह की दर से 5 लाख रूपये पर्यावरणीय हर्जाना नगर निगम कोटा पर लगाते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हर्जाना राशि वसूल करने के आदेश दिये।

इसी तरह कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन को चंबल नदी में प्रदूषित जल के प्रवाह को तुरंत रोकने के निर्देश देकर कूलिंग टॉवर स्थापित करने और आवश्यक उपचार सुविधाएं मार्च 2026 तक पूर्ण करने के आदेश दिये। साथ ही कार्य पूर्ण नहीं होने तक नालों में प्रदूषित जल छोड़े जाने पर 5 लाख रूपये प्रतिमाह प्रति नाला पर्यावरणीय क्षति शुल्क लगाया गया है।

पीठ ने अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी की विशेष प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने गहन शोध, सटीक दस्तावेजीकरण और पर्यावरण न्याय के प्रति अटूट समर्पण का परिचय दिया। उनकी ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों में मैदानी सर्वेक्षण, वैज्ञानिक अध्ययन और दृश्य प्रमाण शामिल थे, जिनसे यह साबित हुआ कि प्रशासनिक लापरवाही और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का निरंतर उल्लंघन हो रहा है।

अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी ने बताया कि एनजीटी ने बाढ़ क्षेत्र का उचित जोनिंग और सीमांकन छह माह में पूरा करने, ईंट भट्टे नदी तट के आसपास स्थापित करने पर पूर्ण रोक लगाने, अवैध मछली पकड़ने, रसायनों या बिजली के उपयोग से मछली मारने पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया। साथ ही चंबल नदी तट पर शवदाह स्थलों के लिए सुरक्षित दूरी तय करने और स्वच्छता व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए।

शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव को ठोस अपशिष्ट नदी में जाने से रोकने और स्थानीय जैव विविधता संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाने को कहा गया। सिंचाई विभाग और वन विभाग मिलकर नदी किनारे के खाली क्षेत्रों को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित करेंगे।

पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने एनजीटी के 120 पेज के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय चंबल नदी की जीवनधारा को पुनर्जीवित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उल्लेखनीय है कि जाजू द्वारा कोटा चम्बल नदी में जाकर वहां गिर रहे 18 प्रदूषित नालों के फोटो एवं वीडियो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मंे पेश किये थे, जिसकी एनजीटी ने सराहना करते हुए सख्त आदेश पारित किये।