इंदौर। स्वदेशी वनस्पति तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण संगठन- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने 2025-26 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान सोयाबीन का घरेलू उत्पादन घटकर 105.36 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है। जो 2024-25 सीजन के समीक्षित उत्पादन 125.82 लाख टन से 20.46 लाख टन कम है।
सोपा के अनुसार पिछले साल की तुलना में न केवल सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र 118.32 लाख हेक्टेयर से घटकर 114.36 लाख हेक्टेयर रह गया बल्कि इसकी औसत उपज दर भी 1063 किलो प्रति हेक्टेयर से गिरकर 920 किलो प्रति हेक्टेयर पर अटक जाने की संभावना है।
हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस वर्ष 120.43 लाख हेक्टेयर से सोयाबीन की खेती होने का अनुमान लगाया है लेकिन सोपा का मानना है कि इसका वास्तविक क्षेत्रफल 114.56 लाख हेक्टेयर ही रहा।
सोपा की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान सोयाबीन का क्षेत्रफल मध्य प्रदेश में 52 लाख हेक्टेयर से घटकर 48.64 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 11.13 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 9.07 लाख हेक्टेयर तथा कर्नाटक में 4.37 लाख हेक्टेयर से गिरकर 4.22 लाख हेक्टेयर रह गया मगर महाराष्ट्र में रकबा 45 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 47.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
सोपा की रिपोर्ट के अनुसार 2025-26 के मौजूदा सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश में 44.56 लाख टन, महाराष्ट्र में 46.74 लाख टन, राजस्थान में 5.67 लाख टन, कर्नाटक में 3.65 लाख टन, तेलंगाना में 1.25 लाख टन, गुजरात में 2.43 लाख टन, छत्तीसगढ़ में 19 हजार टन तथा देश के अन्य राज्यों में 88 हजार टन होने का अनुमान है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस बार बाढ़ एवं अधिशेष बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इस बार महाराष्ट्र सोयाबीन के उत्पादन में मध्य प्रदेश को पीछे छोड़कर प्रथम स्थान पर पहुंच सकता है।
सोपा के मुताबिक यद्यपि महाराष्ट्र में भी सोयाबीन के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले भारी गिरावट आने की आशंका है लेकिन मध्य प्रदेश में गिरावट की तीव्रता उससे ज्यादा रहेगी।
सोपा के मुताबिक 2024-25 के सीजन में मध्य प्रदेश में 55.40 लाख टन, महाराष्ट्र में 50.17 लाख टन तथा राजस्थान में 10.53 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था। लेकिन इस बार इन तीनों प्रांतों में उत्पादन काफी घटने की संभावना है।

