दिवाली पर पटाखों से नहीं, दीप प्रज्ज्वलन से फैलाएं प्रकाश: आचार्य प्रज्ञासागर

0
7

कोटा। महावीर नगर प्रथम स्थित प्रज्ञालोक में रविवार को आचार्य प्रज्ञासागर ने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक जैन को अपने जीवन में मंगल भावनाओं का समावेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अष्ट मंगल द्रव्यों में मंगल कलश का विशेष महत्व है। अतः प्रत्येक मंदिर एवं गृह में कलश की स्थापना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि दर्पण ज्ञान का प्रतीक है, जैसे दर्पण में रूप स्पष्ट दिखाई देता है, वैसे ही केवल ज्ञान में चराचर पदार्थों की स्पष्ट दृष्टि प्राप्त होती है। गुरुदेव ने कहा कि घर की दिशा के अनुसार ध्वज स्थापित करना शुभता का प्रतीक है।

उन्होंने वर्षा और सीलन के मौसम में दीप प्रज्ज्वलन को प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि दीपक जलाने से वातावरण में ऊर्जा और शुद्धता का संचार होता है। वहीं, पटाखे फोड़ने से होने वाली जीव हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जैन धर्म के अनुसार हिंसा से बचना ही सच्ची धार्मिकता है।

संध्याकालीन सत्र में दीपावली की पूर्व संध्या पर कुबेर के खजाने के प्रतीक स्वरूप मां लक्ष्मी का पूजन किया गया एवं श्रद्धालुओं को पूजित सिक्के प्रदान किए गए।