दशहरा मेले में बिखरी आदिवासी संस्कृति की खुशबू, पिंकी ने किया देसी नृत्य से अभिभूत

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कोटा। राष्ट्रीय दशहरा मेला 2025 में मंगलवार शाम को विजयश्री रंगमंच पर राजस्थानी आदिवासी संस्कृति की खुशबू महकती रही। आदिवासी नृत्य कलाकार पिंकी भील और रिंकू भील ने नृत्य का ऐसा समां बांधा कि हर कोई अभिभूत हो उठा।

कार्यक्रम की शुरुआत मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, शोभाराम भील, कालूलाल भील, चुन्नीलाल भील के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई।पिंकी ने शुरुआत पीला लुगडा../ ढीला ढीला कस्बा मबांधो .. गीत पर शानदार नृत्य के साथ की।

उन्होंने राजस्थानी और हरियाणवी गीतों पर जबरदस्त नृत्य कर किसी को झूमने पर मजबूर कर दिया। पिंकी ने “चाय बणाऊं बलबलती…/ दशहरा मेलो घणों जोर सूं भरे../ म्हारो गूजर सरदार देसी गुजरी../ म्हारी बातां ना मानअ म्हारी गूजरी ए ../ म्हारी एक न माने म्हारी गोरड़ी ए… पर देसी स्टाइल में शानदार नृत्य किया तो राजस्थान के मेवाड़, मारवाड़, ढूंढाढ के साथ हाड़ौती की खुशबू बिखरी।

रिंकू भील ने राजस्थानी स्वागत गीत “केसरिया बालम..” पर नृत्य की प्रस्तुति दी। उन्होंने चक्रासन में मुंह से रुमाल उठाकर सबको चकित कर दिया।