त्याग, साधना और पुण्य संचय का महीना है भादो: विभाश्री माताजी

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चतुर्मास के दौरान गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने मंगलवार को अपने प्रवचन में भादों मास के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह महीना त्याग, साधना और पुण्य संचय के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

इस मास में सौलहकारण पर्व, दशलक्षण पर्व, पंचमी पर्व, रक्षाबंधन, चन्दन घटी, सुगन्ध दशमी जैसे अनेक धार्मिक अवसर आते हैं, जो साधकों को आत्मकल्याण के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।

माताजी ने विशेष रूप से दशलक्षण पर्व के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्ष के 12 महीनों में एक माह पुण्य संचय के लिए समर्पित होना चाहिए। भादों में मनाया जाने वाला दशलक्षण पर्व इसके लिए सर्वोत्तम अवसर है, जिसमें 10 दिनों तक विशेष साधना, त्याग और तप का वातावरण निर्मित होता है।

उन्होंने कहा कि चक्रवर्ती नारायण, पत्तिनारायण एवं तीर्थंकर भोजन करते हैं, किंतु वह भोग-विलास के लिए नहीं, बल्कि शरीर को साधना योग्य बनाए रखने के लिए होता है। उचित आहार जीवन की ज्योति को प्रज्वलित रखता है, जैसे गर्म लोहे पर जल की बूंदें शीतलता प्रदान करती हैं।