तीन साल से लगातार भाव नहीं मिलने से राजस्थान में सोयाबीन का रकबा घटा

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जयपुर। देश के पश्चिमी प्रान्त- राजस्थान में इस बार मानसून के जल्दी पहुंचने और अच्छी बारिश का सिलसिला जारी रहने से खरीफ फसलों की बिजाई में शानदार इजाफा हो रहा है।महत्वपूर्ण बात यह है कि इस चार राज्य के लगभग सभी भागों में मानसून की कवरिंग हो चुकी है जिससे किसानों को विभिन्न फसलों की बिजाई की गति तेज रखने का अवसर मिल रहा है।

राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में चालू वर्ष के दौरान 9 जुलाई तक खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र उछलकर 116.21 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 75.64 लाख हेक्टेयर से 40.57 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।

इसके तहत धान सहित अनाजी फसलों का उत्पादन क्षेत्र 31.05 लाख हेक्टेयर से उछलकर 52.07 लाख हेक्टेयर, दलहनों का बिजाई क्षेत्र 12.05 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 26.08 लाख हेक्टेयर तथा तिलहन फसलों का क्षेत्रफल 16.45 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 17.46 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

नकदी या औद्योगिक फसलों के अंतर्गत कपास का उत्पादन क्षेत्र 4.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 6.08 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार का बिजाई क्षेत्र 9.37 लाख हेक्टेयर से उछलकर 12.20 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। राजस्थान में गन्ना की खेती सीमित क्षेत्रफल में होती है।

पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान राजस्थान में धान का रकबा 1.42 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 1.68 लाख हेक्टेयर, ज्वार का क्षेत्रफल 3.49 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 5.23 लाख हेक्टेयर, बाजरा का बिजाई क्षेत्र 19.26 लाख हेक्टेयर से उछलकर 36.53 लाख हेक्टेयर तथा मक्का का उत्पादन क्षेत्र 6.86 लाख हेक्टेयर बढ़कर 8.61 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

दलहन फसलों में भी मूंग का उत्पादन क्षेत्र 7.90 लाख हेक्टेयर से उछलकर 16.33 लाख हेक्टेयर, मोठ का बिजाई क्षेत्र 2.28 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 6.11 लाख हेक्टेयर,

उड़द का क्षेत्रफल 1.55 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 2.54 लाख हेक्टेयर तथा चौला का रकबा 28 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 51 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा। तुवर का बिजाई क्षेत्र 8 हजार हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया।

तिलहन फसलों में तिल का उत्पादन क्षेत्र 75 हजार हेक्टेयर से उछलकर 1.08 लाख हेक्टेयर तथा मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 6.01 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 7.83 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा लेकिन सोयाबीन का क्षेत्रफल 9.65 लाख हेक्टेयर से घटकर 8.45 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। अरंडी की अच्छी बिजाई हो रही है।