वाशिंगटन। ट्रंप के टैरिफ हमलों के जवाब में चीन ने रेयर अर्थ मेटल्स के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है। इस तरह यह लड़ाई अब सिर्फ टैक्स की नहीं, बल्कि टेक्नॉलजी, सप्लाई चेन और ग्लोबल दबदबे की हो चली है। अमेरिका और यूरोप की कई कंपनियों की रेयर अर्थ मैग्नेट की शिपमेंट चीन में अटक गई है।
इससे इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियां और डिफेंस इंडस्ट्री को झटका लगा है। चूंकि अमेरिका के पास इन धातुओं का बैकअप स्टॉक बहुत कम है, इसलिए तुरंत विकल्प नहीं हैं। ऐसे में यहां अमेरिका चीन के सामने कमजोर नजर आ रहा है। अगर इन धातुओं की आपूर्ति नहीं हुई तो इससे अमेरिकी इंडस्ट्री और और बड़ा नुकसान हो सकता है।
रेयर अर्थ मेटल्स क्या हैं?
रेयर अर्थ यानी दुर्लभ धातुएं, असल में बहुत दुर्लभ नहीं होतीं। ये 17 खास खनिजों का समूह होता है, जो जमीन में पाये जाते हैं, लेकिन इन्हें खनन और शुद्ध करना मुश्किल और महंगा होता है। यह खनिज मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक कार, MRI मशीन, लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और हाई-टेक गैजेट्स के निर्माण में बेहद जरूरी हैं। हालांकि ये सोने से ज्यादा आम होते हैं, लेकिन इन्हें निकालना मुश्किल, महंगा और पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है।
इन धातुओं पर चीन का दबदबा क्यों है?
चीन भले ही 61% कच्ची रेयर अर्थ मेटल्स का उत्पादन करता हो, लेकिन असली ताकत उसकी 92% प्रोसेसिंग यानी रिफाइनिंग पर पकड़ है। यानी दुनिया की ज्यादातर रेयर अर्थ सामग्री चीन में साफ-सुथरी बनकर निकलती है। यह टेक्नॉलजी, रिसर्च, सस्ते श्रम और सरकार की भारी सब्सिडी का नतीजा है। चीन ने अप्रैल में 7 रेयर अर्थ मेटल्स और उनसे जुड़े प्रोडक्ट्स पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लगा दिया। अब कंपनियों को चीन सरकार से मंजूरी लेकर ही ये मेटल्स बाहर भेजने की इजाजत है।
साल 2019 में क्या हुआ था?
साल 2019 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने देश के दक्षिण-पूर्वी शहर गानझोउ की एक फैक्ट्री का दौरा किया और वहां रखे ग्रे धातु के ब्लॉक्स को देखकर कहा था, ‘रेयर अर्थ्स एक रणनीतिक संसाधन हैं।’ ये 17 खनिज तत्व मोबाइल, इलेक्ट्रिक कार और हाईटेक मशीनों में इस्तेमाल होते हैं। अब, अमेरिका और चीन के बीच नई ट्रेड वॉर में यही रेयर अर्थ मेटल्स चीन का सबसे मजबूत हथियार बन चुके हैं। हालांकि अमेरिका में भी ये खनिज मिलते हैं, लेकिन इन्हें निकालना और प्रोसेस करना काफी मुश्किल, महंगा और प्रदूषणकारी होता है। यही वजह है कि इस मामले में अमेरिका चीन का मुकाबला नहीं कर सकता। जहां टैरिफ का जवाब टैरिफ से दिया जा सकता है, वहीं रेयर अर्थ्स के मामले में ट्रंप के पास बहुत कम विकल्प हैं।

