नई दिल्ली। ट्रम्प प्रशासन ने 200 से अधिक कृषि उत्पादों के आयात पर टैरिफ को घटाने या पूरी तरह खत्म करने की घोषणा की है। इसके अलावा स्विट्जरलैंड के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक करार करने का भी एलान किया है।
समझा जाता है कि सरकार की इस घोषणा से अमरीका की स्थूल अर्थ व्यवस्था पर कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा लेकिन एशियाई देशों और खासकर भारत में व्यापारिक गतिशीलता को बढ़ावा मिल सकता है।
समीक्षकों के मुताबिक खाद्य एवं कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क को घटाना या समाप्त करना अमरीका की विवशता है। वहां अगले साल मध्यावधि चुनाव होना है जबकि खाद्य महंगाई में भारी इजाफा होने से आम उपभोक्ता काफी चिंतित और परेशान हैं।
वहां खाद्य एवं किराना वस्तुओं की कीमतों में तेज उछाल आ गया है क्योंकि टैरिफ के कारण विदेशों से आयात महंगा बैठ रहा है।
चाय, कॉफी, फल (केला) एवं सूखे मेवों के साथ-साथ उन मसालों के मूल्य में भारी तेजी देखी जा रही है जिसका उत्पादन अमरीका में नहीं या नगण्य होता है और जिसके लिए वह मुख्यतः विदेशों से आयात पर निर्भर रहता है। खाद्य एवं वस्तुएं खासकर कम आय वर्ग के लोगों के लिए काफी संवेदनशील होती है।
समझा जाता है कि इस नई घोषणा के तहत खासकर भारत और ब्राजील पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा क्योंकि इन दोनों देशों से आयातित कृषि उत्पादों पर अमरीका में 50-50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है जो आपूर्तिकर्ता देशों की तुलना में काफी ऊंचा है।
ट्रम्प प्रशासन की घोषणा से इन दोनों देशों को अमरीका में चाय, मसालों तथा समुद्री खाद्य उत्पादों (सी फ़ूड) का निर्यात बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। भारत से बासमती चावल के निर्यात को भी बल मिल सकता है। भारत पर अमरीका में सबसे ऊंची दर का रेसिप्रोकल टैक्स लगाया गया है
इसलिए शुल्क कटौती या समाप्ति से इसे ही सर्वाधिक फायदा भी होने के चांस हैं। भारत के साथ अमरीका का व्यापार समझौता फाइनल स्टेज में है और जल्दी ही इसकी घोषणा होने वाली है। उधर ब्राजील के साथ भी अमरीका व्यापार समझौता करने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है।

