कोच्चि। अमरीका द्वारा भारतीय उत्पादों के आयात पर 26 प्रतिशत की समान दर से लगाए गए सीमा शुल्क के कारण अमरीकी बाजार में भारत के मसालों एवं मूल्य संवर्धित मसाला उत्पादों का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है।
ऑल इंडिया स्पाइसेज एक्स पोर्टल फोरम ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि नए शुल्क के कारण अमरीकी बाजार में भारतीय मसालों की प्रतिस्पर्धी क्षमता घट जाएगी और अमरीकी आयातक अन्य आपूर्तिकर्ता देशों की तरफ आकर्षित हो जाएंगे।
भारतीय मसाला क्षेत्र की निर्यात प्रतिस्पर्धा, आपूर्ति शृंखला की अर्थव्यवस्था तथा दीर्घकालीन व्यापारिक संबंधों पर इस टैरिफ का नकारात्मक असर पड़ेगा। फोरम के चेयरमैन का कहना है कि अमरीका लम्बे समय से भारतीय मसालों का एक अग्रणी आयातक देश बना हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अमरीका में भारतीय मसालों का कुल निर्यात बढ़कर 1,11,484 टन की ऊंचाई पर पहुंच गया जिससे 5127 करोड़ रुपए की शानदार आय प्राप्त हुई।
भारतीय मसालों एवं मूल्य संवर्धित मसालों पर अमरीका में अब ऊंचे स्तर पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा की गई है जो इस उद्योग के कारोबार को प्रभावित करेगा। अमरीकी आयातकों का रुझान मसालों के अन्य आपूर्तिकर्ता देशों की तरफ बढ़ सकता है।
यदि भारतीय निर्यातक इस 26 प्रतिशत के ऊंचे शुल्क के समायोजन के साथ अपने मसालों का निर्यात जारी रखते हैं तो उसके मार्जिन में भारी गिरावट आएगी और यह ऋणात्मक जोन में भी पहुंच सकता है। इससे छोटे एवं मध्यम स्तर के उद्यमियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
फोरम ने सरकार से इस समस्या के समाधान के लिए अमरीका के साथ सार्थक संवाद शुरू करने का जगह किया है ताकि दोनों देशों के बीच परस्पर आर्थिक सहयोग की निरंतरता सुनिश्चित की जा सके।
भारतीय मसाला उद्योग ने क्वालिटी की निरंतरता के मोर्चे पर मजबूत प्रतिष्ठा एवं विश्वसनीयता का निर्माण किया है और आगे भी इसे बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय मसाला उद्योग अमरीका जैसे बड़े बाजार को खोना नहीं चाहता है इसलिए सरकार को इस दिशा में सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है।

